संतान की लंबी उम्र-अच्‍छी सेहत के लिए रखें जीवित्‍पुत्रिका व्रत

हिंदू धर्म में संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मांएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं. इस व्रत को जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत भी कहते हैं. यह व्रत अश्विन महीने के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को रखते हैं. इस साल यह व्रत 18 सितंबर को पड़ रहा है. इस दिन माताएं अपनी संतान की खुशहाली और अच्‍छे जीवन के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं.

Update: 2022-09-06 05:02 GMT

हिंदू धर्म में संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मांएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं. इस व्रत को जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत भी कहते हैं. यह व्रत अश्विन महीने के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को रखते हैं. इस साल यह व्रत 18 सितंबर को पड़ रहा है. इस दिन माताएं अपनी संतान की खुशहाली और अच्‍छे जीवन के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं. साथ ही पूजा-पाठ रखती हैं. यह व्रत बहुत कठिन होता है और मुख्यतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल आदि राज्‍यों में रखा जाता है. यह मध्‍य भारत में रखे जाने वाले संतान सप्‍तमी व्रत जैसा ही है.

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 तिथि, पूजा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 सितंबर 2022 से शुरू होगी और 19 सितंबर 2022 को समाप्‍त होगी. इसलिए जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा, वहीं पारणा 19 सितंबर को किया जाएगा.

ऐसे रखें जीवित्पुत्रिका व्रत

जीवित्‍पुत्रिका या जितिया व्रत से एक दिन पहले महिलाएं सूर्योदय से पहले स्‍नान करकें साफ कपड़े पहनें. फिर पूजा-पाठ करके भोजन करें. इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखें. दरअसल यह व्रत छठ व्रत की तरह एक दिन पहले ही शुरू हो जाता है. फिर जीवित्‍पुत्रिका व्रत के दिन भी निर्जला रहें. इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करें. फिर इस व्रत के तीसरे दिन सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं व्रत का पारणा करती हैं. इस व्रत का पारणा झोर भात, मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाकर किया जाता है.


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