करवा चौथ पूजा इन चीजों के बिना अधूरी मानी जाती है, जाने

जानिए करवा चौथ व्रत में इस्तेमाल होने वाली ऐसी चीजों के बारे में, जिनके बिना अधूरा माना जाता है व्रत-

Update: 2021-10-24 05:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुहागिन स्त्रियों के लिए करवा चौथ व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है। यह त्योहार पति-पत्नी के प्रेम को दर्शाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ पूजा में प्रयोग होने वाली चीज का अपना महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह तिथि 24 अक्टूबर, रविवार को है। जानिए करवा चौथ व्रत में इस्तेमाल होने वाली ऐसी चीजों के बारे में, जिनके बिना अधूरा माना जाता है व्रत-

करवा- करवा चौथ की पूजा में करवा महत्वपूर्ण है। करवा उस नदी का प्रतीक माना जाता है, जिसमें करवा माता के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। जिसको माता करवा ने छुड़वाया था। करवा मिट्टी का एक बर्तन होता है, जिससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
करवा माता की प्रतिमा- करवा माता की तस्वीर भारतीय संस्कृति के जीवन को दर्शाती है। इस तस्वीर में चंद्रदेव के साथ-साथ तारे भी दर्शाए गए हैं। इसके अलावा करवा चौथ की कथा का अंश भी मिलता है।
सींक- करवा चौथ की पूजा में सींक का विशेष महत्व होता है। पूजा करते समय और कथा सुनते समय सींक को पास करना चाहिए। सींक माता करवा की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि करवा माता ने सींक की मदद से चित्रगुप्त के खाते के पन्नों को उड़ा दिया था।
छलनी- करवा चौथ की पूजा के बाद पत्न, पति का छलनी से चेहरा देखती है। मान्यता है कि सुहागन महिला से कोई छल न कर पाए, इसलिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।
थाली-
करवा चौथ की थाली में फल, करवा, बताशा और दीपक आदि रखकर थाली का इस्तेमाल करना चाहिए।
दीपक- करवा चौथ की पूजा में दीपक का महत्वपूर्ण योगदान है। दीपक से माता करवा और चंद्रदेव की पूजा की जाती है।
हलवा- करवा चौथ की पूजा के बाद मां गौरी की पूजा का विधान है। माता करवा के साथ मां गौरी की पूजा में हलवा-पूरी का भोग लगाना चाहिए।


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