सुहाग का प्रतीक है करवा चौथ व्रत, नवविवाहित ऐसे करें पूजा

Update: 2023-09-28 08:55 GMT
सुहाग का प्रतीक है करवा चौथ व्रत, नवविवाहित ऐसे करें पूजा
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हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते है जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है इन्हीं में से एक करवा चौथा का व्रत है जो कि सुहागिनें पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से रखती है। ये व्रत बेहद कठिन माना गया है इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास रखकर शाम को चंद्रमा दर्शन व पूजन के बाद व्रत खोलती है।
 मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और ​शादीशुदा जीवन का तनाव दूर हो जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको करवा चौथ व्रत पूजा की संपूर्ण विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
 करवा चौथ व्रत पूजा की विधि—
करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें इसके बाद आचमन करके पति, पुत्र और सौभाग्य की इच्छा का संकल्प करें। इस व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा की पूजा का विधान है। सुहागिन महिलाएं चंद्रोदय के बाद चंद्रमा का दर्शन और पूजन करें साथ ही जल अर्पित कर पूजा का समापन करें।
 इसके बाद जल व भोजन ग्रहण करें। पूजन के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द दा, सिंदूर, चूड़ी, रिबन, सुहाग की सामग्री और दक्षिणा रखकर दान करें। इसके बाद 14 पूड़ी या मिठाई का बायना, सुहाग की सामग्री, फल, मेवा सास को देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। मान्यता है कि इस विधि से करवा चौथ की पूजा करने से व्रत पूजन का पूरा फल प्राप्त होता है।
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