24 जुलाई को है कामिका एकादशी का व्रत, जानिए इस दिन के तीन शुभ दिनों के बारे में...

सावन माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) कल 24 जुलाई को है. श्रीहरि भगवान विष्णु को एकादशी तिथि बहुत ही प्रिय है.

Update: 2022-07-23 05:00 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।   सावन माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) कल 24 जुलाई को है. श्रीहरि भगवान विष्णु को एकादशी तिथि बहुत ही प्रिय है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी कहते हैं कि सावन माह में हरिहर की पूजा करते हैं यानि श्रीहरि विष्णु और महादेव की पूजा. सावन की एकादशी व्रत के दिन पूजा पाठ करने से भगवान विष्णु तो प्रसन्न होते ही हैं, भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है. ऐसे में आपको इस अवसर को खोना नहीं चाहिए. इसका लाभ उठाना चाहिए. इस बार कामिका एकादशी के दिन तीन शुभ योग भी बन रहे हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.

कामिका एकादशी 2022 शुभ समय
कामिका एकादशी की तिथि यानि सावन कृष्ण एकादशी तिथि आज दिन में 11:27 बजे से शुरु हो रही है और कल दोपहर 01:45 बजे समाप्त हो जाएगी. इस दिन द्विपुष्कर योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग बन रहा है.
वृद्धि योग कल सुबह से दोपहर 02:02 बजे तक है, उसके बाद से ध्रुव योग प्रारंभ हो जाएगा, वहीं द्विपुष्कर योग कल रात 10 बजे से लेकर अगली सुबह 05:38 बजे तक है. यदि आप कल कामिका एकादशी व्रत रखेंगे, तो व्रत का पारण 25 जुलाई को प्रात: 05:38 बजे के बाद से कर लेना होगा. सुबह 08:22 बजे तक ही पारण का समय है.
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक आधार
अमावस्या और पूर्णिमा को पृथ्वी के चारों ओर वायुमंडलीय दबाव अधिक होता है, जिसका मनुष्य के मन और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. एकादशी व्रत रखने से शरीर का पाचन तंत्र सही होता है और तन तथा मन शुद्ध रहता है. इसका सकारात्मक प्रभाव शरीर में अमावस्या और पूर्णिमा तक रहता है. सप्ताह में या पक्ष में एक बार व्रत अवश्य रखना चाहिए.
क्या कहते हैं शास्त्र
एकादशी के विषय में शास्त्र कहते हैं, 'न विवेकसमो बन्धुर्नैकादश्या: परं व्रतं' यानि विवेक के सामान कोई बंधु नहीं और एकादशी से बढ़कर कोई व्रत नहीं है. पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कर्म इंद्रियां और एक मन, इन 11 को जो साध ले, वो प्राणी एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है.
कहा जाता है कि शरीर रथ और मन उस रथ का सारथी है. शरीर में कुल 10 इन्द्रियां हैं और मन एकादश यानी ग्यारहवीं इंद्री है. एकादशी पर चंद्रमा आकाश में 11वें अक्ष पर होता है और इस समय मन बहुत चंचल होता है. ऐसे में एकादशी का व्रत करके आप अपने मन को वश में कर सकते हैं. एकादशी व्रत मन की चंचला को दूर करने के लिए सही साधन है.
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