Kalki Jayanti 2021: भगवान कल्कि की अवतार के 5 रोचक बातें, जन्म से लेकर विवाह तक जानिए

भगवान कल्कि की अवतार की 5 रोचक बातें

Update: 2021-08-13 09:06 GMT

कल्कि जयंती आज देशभर में मनाई जा रही है, साथ ही आज पंचमी का पर्व भी है। कल्कि जयंती हर साल सावन मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। चूंकि आज पंचमी और षष्ठी दोनों तिथि हैं इसलिए नाग पंचमी के साथ कल्कि जयंती भी मनाई जाएगी। भगवान विष्णु का यह पहला अवतार है, जिसकी जयंती जन्म से पहले मनाई जाती रही है। कलियुग के अंत में भगवान विष्णु का यह दसवां अंतिम अवतार होगा। भगवान कल्कि कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर दुष्टों के संहार और धर्म की फिर से स्थापना के लिए अवतार लेंगे। श्रीमद्भागवत पुराण और कल्कि पुराण के अनुसार भगवान कल्कि का अवतार कलियुग की समाप्ति और सतयुग के संधिकाल में होगा। आइए कल्कि जयंती पर जानते इनके अवतार की खास बातें….

64 कलाओं से युक्त होगा भगवान का यह अवतार
भगवान विष्णु के यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा और जब चारों तरह केवल पाप फैला होगा तब वह लोगों के हृदय में भक्ति भाव जगाएंगे। लोग इनकी बात मानकर धार्मिकता के मार्ग और शुद्धता के युग का पालन शुरू कर देंगे। कल्कि पुराण में कल्कि अवतार के बारे में विस्तार से बताया गया है। श्रीमद्भागवत में बताया गया है कि भगवान विष्णु का यह अंतिम अवतार होगा। भागवत के बारहवें स्कंध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्कि के अवतार की कथा विस्तार से दी गई है। भगवान का यह अवतार निष्कलंक भगवान के नाम से पूरे विश्व में जाना जाएगा।
संभल गांव में होगा जन्म
पुराण के अनुसार, कल्कि भगवान का अवतार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद के पास स्थित संभल गांव में होगा। इनके सभी भाई देवताओं के अवतार होंगे, जो धर्म की फिर से स्थापना करने में इनका सहयोग करेंगे। भगवान कल्कि के पिता कलियुग में उस क्षण में भी भगवान विष्णु के परम भक्त होंगे और उनके वेदों और पुराणों का पूरा ज्ञान होगा। उनके पिता का नाम विष्णुयश होगा और माता का नाम सुमति होगा।
परशुराम होंगे कल्कि भगवान के गुरु

राम अवतार के तरह ही भगवान कल्कि समेत चार भाई होंगे, जिनका नाम सुमन्त, प्राज्ञ और कवि होंगे। भगवान कल्कि के याज्ञवल्क्य जी पुरोहित और भगवान परशुराम उनके गुरु होंगे। परशुराम भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है, जिनको अमरता का वरदान प्राप्त है। परशुराम के निर्देश पर कल्कि भगवान शिव की तपस्या करेंगे और दिव्य शक्तियों को प्राप्त करेंगे।
भगवान कल्कि की होंगी दो पत्नियां
भगवान कल्कि की दो पत्नियां होंगी, पहली लक्ष्मी स्वरूप पद्मा और दूसरी पत्नी वैष्णवी शक्ति रूपा रमा होंगी। देवी वैष्णवी यानी माता वैष्णो देवी जो रामावतार के समय से भगवान से विवाह के लिए तपस्या कर रही हैं, उनकी तपस्या से कल्कि भगवान पूर्ण होंगे और उनसे विवाह करेंगे। कल्कि भगवान के चार पुत्र होंगे, जिनके नाम जय, विजय, मेघवाल तथा बलाहक होंगे।
धर्म की फिर से करेंगे स्थापना
मान्यता है कि भगवान कल्कि का वाहन सफेद रंग का घोड़ा होगा। यह घोड़ा देवदत्त के नाम से जाना जाएगा। भगवान घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और फिर से धर्म की स्थापना करेंगे। कल्कि जयंती पर भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए और उनके नाम का व्रत भी करना चाहिए। साथ ही कल्कि जयंती पर गरीबों व जरूरतमंदों का दान व भोजन करना चाहिए।


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