काल भैरव पूजा से हर परेशानी से मिलती, मुक्ति जानिए

भगवान काल भैरव भय, संकट, लांछन, भूत-प्रेत आदि से हमारी रक्षा करते है.इस वर्ष ये दिवस 27 नवंबर, 2021 को मनाया जाएगा. काल भैरव जयंती या मासिक कालाष्टमी के दिन इनकी उपासना करना से वे अपने भक्तों की हर प्रकार से सहायता करके उन्हें हर कष्टों से बचाते हैं.

Update: 2021-11-27 09:55 GMT

काल भैरव पूजा से हर परेशानी से मिलती, मुक्ति जानिए


जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान काल भैरव भय, संकट, लांछन, भूत-प्रेत आदि से हमारी रक्षा करते है. मार्गशीर्ष या कार्तिक के हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि कोकालाष्टमी पड़ता है. इस वर्ष ये दिवस 27 नवंबर, 2021 को मनाया जाएगा. काल भैरव जयंती या मासिक कालाष्टमी के दिन इनकी उपासना करना से वे अपने भक्तों की हर प्रकार से सहायता करके उन्हें हर कष्टों से बचाते हैं
काल भैरव जयंती 2021: तिथि और शुभ 
तिथि
दिनांक: 27 नवंबर, शनिवार
अष्टमी तिथि प्रारंभ – 27 नवंबर, 2021 को सुबह 05:43
अष्टमी तिथि समाप्त – 28 नवंबर 2021 को सुबह 06:00 बजे
आइए जानते हैं उनकी महिमा की कुछ जानकारियां
– भैरव को शिव का गण और दुर्गा के अनुचारी माना जाता है. भैरव रात्रि के देवता माने जाते हैं और इनकी आराधना का खास समय भी मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता है.
-अगर श्रद्धा से भैरव के नाम जप की जाए को कई रोगों से मुक्ति मिलती है. आपको बता दें कि भैरव की सवारी कुत्ता है. ऐसे में हर किसी को कष्टों से मुक्ति पाने के लिए कालाष्टमी के दिन कुत्ते की सेवा करनी चाहिए और कुत्ते को भोजन खिलाने से काल भैरव प्रसन्न होकर आ‍शीष प्रदान करते हैं.
– तंत्र के भैरव महान देवता काशी के कोतवाल माने जाते हैं. अगर किसी जन्मकुंडली में मंगल ग्रह के दोष हों तो उसको भैरव की पूजा करनी चाहिए.राहु केतु के उपायों के लिए भी इनका पूजन करना अच्छा माना जाता है.
-इतना ही नहीं भैरव कवच से असामायिक मृत्यु से बचा जा सकता है. काल भैरव को चमेली का फूल चढ़ाने का भी खास महत्व होता है.
-कहते हैं कि अगर आप भूत-प्रेत बाधा, तांत्रिक क्रियाओं से परेशान है, घर पर भैरव पाठ का वाचन करें. इससे सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
-भगवान भैरव अपने भक्तों की संतान को लंबी उम्र प्रदान करते है. खास तौर पर कालभैरव अष्टमी पर भैरव के दर्शन करने से आपको अशुभ कर्मों से मुक्ति मिल सकती है.
-आपको बता दें कि भैरव अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनके जीवन में सुख समृद्धि की बरसात करते हैं. इतना ही नहीं भैरव उपासना जल्दी फल देने के साथ-साथ क्रूर ग्रहों के प्रभाव को समाप्त खत्म कर देती है।
-अगर किसी का शनि या राहु भारी है तो उसको शनिवार और रविवार को काल भैरव के मंदिर में जाकर उनका दर्शन करना चाहिए. ये काफी लाभकारी होता है.
-आपको बता दें कि एक बार भगवान शिव के क्रोधित होने पर काल भैरव की उत्पत्ति हुई. इतना ही नहीं काल भैरव ने ब्रह्माजी के उस मस्तक को अपने नाखून से काट दिया जिससे उन्होंने असमर्थता जताई. तब ब्रह्म हत्या को लेकर हुई आकाशवाणी के तहत ही भगवान काल भैरव काशी में स्थापित हो गए थे,


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