जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत, जानिए व्रत पारण कब होगा?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखने का विधान है।

Update: 2021-09-29 02:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखने का विधान है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया या जिउतिया व्रत भी कहते हैं। यह व्रत सप्तमी से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलता है। जितिया व्रत को महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए रखती हैं। इस साल यह व्रत 28 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक रहेगा।

जितिया व्रत का महत्व-
जितिया व्रत संतान की लंबी आयु, निरोगी जीवन और खुशहाली के लिए रखा जाता है। तीन दिनों तक चलने वाला यह व्रत नहाए खाए के साथ शुरू होता है। दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस साल 28 सितंबर को नहाए खाए, 29 सितंबर को निर्जला व्रत और 30 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा।
जितिया व्रत शुभ मुहूर्त-
28 सितंबर की शाम 06 बजकर 16 मिनट से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। यह 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। अष्टमी तिथि के साथ व्रत समाप्त नहीं होगा। व्रत का पारण 30 सितंबर को किया जाएगा।
जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि-
सुबह स्नान करने के बाद व्रती प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ कर लें।
इसके बाद वहां एक छोटा सा तालाब बना लें।
तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें।
अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें।
अब उन्हें दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं।
अब उन्हें भोग लगाएं।
अब मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं।
दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें।
अब पुत्र की प्रगति और कुशलता की कामना करें।
इसके बाद व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
व्रत पारण का समय-
जीवित्पुत्रिका व्रत रखने वाली माताएं 30 सितंबर को सूर्योदय के बाद दोपहर 12 बजे तक पारण करेंगी। मान्यता है कि जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण दोपहर 12 बजे तक कर लेना चाहिए।


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