जानकी जयंती, जानिए सीता माता के जन्म से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जानकी जयंती पर्व मनाया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जानकी जयंती पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सीता जी प्रकट हुई थीं। इस साल जानकी जयंती 06 मार्च (शनिवार) को है। जानकी जयंती को सीता अष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को होती है।
जानकी जयंती के अनुसार, इस दिन माता सीता की पूजा की जाती है। इसके बाद माता सीता को पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान चढ़ाया जाता है। इस दिन माता सीता से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जानकी जयंती के दिन पूजा करने से महिलाओं को विशेष फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि इस दिन पूजा करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
जानकी जयंती का शुभ पंचांग-सूर्योदय- सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर।सूर्यास्त- शाम के समय में 06 बजकर 24 मिनट पर।राहुकाल- सुबह 09 बजकर 37 मिनट से दिन में 11 बजकर 05 मिनट तक।
सीता माता के जन्म से जुड़ी कथा-
एक पौराणिक कथा के अनुसार, रामायण के अनुसार एक बार मिथिला के राजा जनक यज्ञ के लिए खेत को जोत रहे थे। उसी समय एक क्यारी में दरार हुई और उसमें से एक नन्ही बच्ची प्रकट हुईं। उस वक्त राजा जनक की कोई संतान नहीं थी। इसीलिए इस कन्या को देख वह मोहित हो गए और गोद ले लिया। आपको बता दें हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और यह कन्या हल चलाते हुए ही मिलीं इसीलिए इनका नाम सीता रखा गया।
जानकी जयंती के शुभ मुहूर्त-
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 05 मार्च को शाम 07 बजकर 54 मिनट पर।अष्टमी तिथि का समापन- 06 मार्च शनिवार को शाम 06 बजकर 10 मिनट पर।उदया तिथि- 06 मार्च 2021