जगन्नाथ रथ यात्रा 2023 : मंदिर के सिंहद्वार में प्रवेश करने के बाद अंदर समंदर की कोई भी आवाज सुनाई नहीं देती, जाने कुछ और रोचक बातें
पुरी में आज जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो गई है। भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिए और अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए निकल गये हैं। बताया गया है कि कई पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि के बीच विशाल रथों को सैकड़ों लोग मोटे-मोटे रस्सों से खींचते हैं। बता दें, सबसे पहले भाई बलराम जी का रथ प्रस्थान करता है। जिसके थोड़ी देर बाद बहन सुभद्रा जी का रथ चलना शुरू होता है।अंत में लोग जगन्नाथ जी के रथ को बड़े ही श्रद्धापूर्वक खींचते हैं। आइए जानते हैं पुरी की इस रथ यात्रा और मंदिर से जुड़ी ऐसी अनोखी बातें जिनके बारे में अब तक शायद ही आपने कभी सुना होगा।
- मंदिर के पास हवा की दिशा भी हैरान करती है। ज्यादातर समुद्री तटों पर हवा समंदर से जमीन की तरफ चलती है। लेकिन, पुरी में ऐसा बिल्कुल नहीं है यहां हवा जमीन से समंदर की तरफ चलती है और यह भी किसी रहस्य से कम नहीं है। आम दिनों में हवा समंदर से जमीन की तरफ चलती है। लेकिन, शाम के वक्त ऐसा नहीं होता है।
- जगन्नाथ मंदिर 4 लाख वर्गफुट में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर की इतनी ऊंचाई के कारण ही पास खडे़ होकर भी आप गुंबद नहीं देख सकते। मंदिर के मुख्य गुंबद की छाया भी दिन के किसी भी वक्त दिखाई नहीं देती ।
- जगन्नाथ मंदिर के ऊपर कोई भी पक्षी आज तक उड़ता हुआ नहीं देखा गया है। मंदिर के शिखर के पास पक्षी या कोई भी चिड़ियां उड़ते हुए नहीं दिखते। मंदिर के ऊपर विमान भी नहीं उड़ते हैं।
- ऐसा दावा किया जाता है कि मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। मान्यता है कि कितने भी श्रद्धालु मंदिर आ जाए, लेकिन अन्न कभी भी खत्म नहीं होता।
- मंदिर के सिंहद्वार में प्रवेश करने के बाद मंदिर के अंदर समंदर की कोई भी आवाज सुनाई नहीं देती। इसके अलावा मंदिर के ऊपर लगा ध्वज भी हवा की उल्टी दिशा में लहराता रहता है।
- भगवान जगन्नाथ देव की रथ यात्रा के दिन बारिश जरूर होती है। आज तक कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि इस दिन बारिश न हुई हो। भगवान की यात्रा का ये उत्सव आषाढ़ शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है।
- भगवान जग्गनाथ रस्ते में एक बार अपना पसंदीदा पोड़ा पीठा खाने के लिए जरूर रुकते हैं। ओडिसा में बनने वाले इस मीठी डिश को आपको भी जरूर टेस्ट करना चाहिए।
- भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, व सुभद्रा के रथ नारियल की लकड़ी से बनाए जाते है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ये लकड़ी हल्की होती है। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। इसके अलावा यह रथ बाकी रथों की तुलना में भी आकार में बड़ा होता है। उनकी यात्रा बलभद्र और सुभद्रा के रथ के पीछे होती है।
- भगवान जगन्नाथ के रथ के घोड़ों का रंग सफेद, सुभद्रा के रथ के घोड़ों का रंग कॉफी व बलरामजी के रथ के घोड़ों का रंग नीला होता है।