गुप्त नवरात्रि में देवी की इन साधना से चमकने लगेगा कारोबार

शक्ति की साधना के गुप्त नवरात्रि का महापर्व साल में दो बार – माघ शुक्ल पक्ष ओर आषाढ़ शुक्ल पक्ष में आता है।

Update: 2021-07-12 12:08 GMT

शक्ति की साधना के गुप्त नवरात्रि का महापर्व साल में दो बार – माघ शुक्ल पक्ष ओर आषाढ़ शुक्ल पक्ष में आता है। इस तरह देखें तो शक्ति के साधक साल में चार बार नवरात्रि के पर्व में माता भगवती की साधना-आराधना करते हैं। सबसे खास बात यह कि ये चारों नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाये जाते हैं।

नवरात्रि की महिमा का वर्णन हमारे यहां तमाम धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। तमाम तरह की सिद्धियों और सुखों की प्राप्ति के लिए नवरात्र के नौ दिन अत्यं शुभ माने गये हैं। यही कारण है कि नवरात्रि में शक्ति की साधक पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मां जगदंबे की साधना, पूजा, अनुष्ठान आदि करते हैं।

सामान्य नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में अंतर

देवी भगवती को समर्पित सामान्य नवरात्रि में आम तौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों ही की जाती है लेकिन गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से तांत्रिक पूजा की परंपरा चली आ रही है। गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना को हमेशा गुप्त रखा जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना और मनोकामना जितनी गुप्त होगी, साधक को उतनी ही ज्यादा देवी से सफलता और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

व्यापार में वृद्धि के लिए करें ये महाउपाय

कारोबार में वृद्धि के लिए गुप्त नवरात्रि में मां जगदंबे की विशेष साधना और अनुष्ठान किया जाता है। व्यापार में वृद्धि के लिए की जाने वाली साधना को आप नवरात्रि के नौ दिनों में कभी भी सुबह के समय कर सकते हैं। देवी की साधना के लिए स्नान-ध्यान करके शुद्ध सफेद कपड़े पहनें और उसके गुलाबी रंग का गमछा या दुपट्टा ओढ़कर पूर्व की दिशा की ओर मुंह करके बैठें। बैठने के लिए उनी आसन का ही प्रयोग करें। देवी की साधना के लिए सामने मां श्री तारादेवी या भगवती दुर्गा का चित्र या मूर्ति को रखें। इसके बाद एक सफेद कपड़ा बिछाकर उसमें एक थाली रखें और उसमें रोली से श्री तारा लिखें। उसके बाद उसमें अक्षत डालें। इसके बाद थाली में अक्षत का ढेर लगाकर उस पर श्री तारा महाविद्या यंत्र को विधि-विधान से पूजा करके स्थापित करें। इस यंत्र की पूजा में लक्ष्मी जी की प्रिय कौड़ियों का प्रयोग जरूर करें। इसके बाद व्यापार में सफलता की कामना करते हुए देवी को फल-फूल चढ़ाएं और धूप-दीप दिखाने के बाद "ऐं ओं क्रीं क्रीं हूं फट्" मंत्र का 21 माला जप करें। पूजा पूरी होने के बाद सभी में प्रसाद बांटें और पूजन सामग्री आदि को किसी पवित्र स्थान में दबा दें।

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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