अगर आप इस एक बात का रखेंगे खास ध्यान, तो सदैव होगी धन की वर्षा..बनेंगे सौभाग्यशाली
18 पुराणों में से गरुड़ पुराण(Garud Puran) का अपना एक अलग महत्व है. हिंदू धर्म में इसे मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना गया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| 18 पुराणों में से गरुड़ पुराण(Garud Puran) का अपना एक अलग महत्व है. हिंदू धर्म में इसे मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना गया है.इसीलिए किसी के घर मौत होने के बाद वहां गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि इस पुराण में केवल मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग, नरक की ही बातें होती हैं बल्कि इस पुराण को ध्यान से पढ़ा जाए तो यह जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में हमें बताता है.
इस पुराण में कुछ ऐसे ज्ञान, नीति व नियम छिपे हैं जिससे आप अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं और तमाम तरह की तकलीफों से दूर रख सकते हैं. अगर आप आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहते हैं, धनवान बनना चाहते हैं, सौभाग्य को चमकाना चाहते हैं तो गरुड़ पुराण की एक बात को गांठ बांध लें..वो बात क्या है हम आपको विस्तार से बताते हैं.
गरुड़ पुराण की इस बात का रखें खास ख्याल
अगर आप दिन रात अमीर बनने का सपना देखते हैं और कड़ी मेहनत के बाद भी आपका ये सपना पूरा नहीं हो पा रहा है तो गरुड़ पुराण के मुताबिक ज़रुरी है कि आप साफ सुथरे, सुंदर और सुगंध से महकते हुए कपड़े पहने. जी हां...पुराण में 19 हज़ार श्लोक हैं जिनमें से एक मेंं इस बात का ज़िक्र किया गया है कि व्यक्ति को सदैव साफ सुथरे और धुले हुए ही कपड़े पहनने चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से सौभाग्य बढ़ता है.
महालक्ष्मी की बनी रहती है कृपा
कहा जाता है कि साफ सुथरा रहने से महालक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है और ये देवी धन और सौभाग्य की देवी ही मानी गई हैं. जबकि इससे इतर अगर आप गंदे वस्त्र पहनते हैं और सफाई का ध्यान नहीं रखते तो धीरे धीरे आपका सौभाग्य नष्ट हो जाता है. महालक्ष्मी देवी रुठ जाती हैं, घर में दरिद्रता का वास होता है. इसीलिए ज़रुरी है कि हमेशा साफ सुथरा रहा जाए, साफ वस्त्र पहने जाए. और मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाए.
गरुड़ पुराण का है विशेष महत्व
आपको बता दें कि 18 पुराणों में से गरुड़ पुराण का विशेष महत्व हैं. जिसके अधिष्ठातृ देव विष्णु माने जाते हैं. इसीलिए इसे वैष्णव पुराण कहा जाता है. इस पुराण में लिखी सभी बातें पहले गरुड़ ने भगवान विष्णु से सुनी और फिर गरुड़ ने कश्यप ऋषि को सुनाई.