त्वचा संबन्धी रोग है या व्यापार में हो रहा है नुकसान, तो रहें बुधवार का व्रत, जानिए कब से शुरू करना है शुभ

बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित हैं. भगवान गणेश बुद्धि प्रदाता होने के साथ शुभता प्रदान करने वाले देव माने जाते हैं.

Update: 2021-05-12 04:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित हैं. भगवान गणेश बुद्धि प्रदाता होने के साथ शुभता प्रदान करने वाले देव माने जाते हैं. बुधवार का व्रत घर से तमाम विपदाओं को दूर करता है और सुख-शांति लेकर आता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ बुद्ध देव की भी पूजा की जाती है.

अगर आपको त्वचा संबन्धी कोई रोग है, व्यापार में घाटा हो रहा है, कर्ज से परेशान हैं या घर में अक्सर क्लेश बना रहता है तो आपको बुधवार का व्रत जरूर करना चाहिए. ऐसे में ये व्रत काफी फलदायी माना जाता है. जानें इस व्रत से जुड़ी तमाम जरूरी बातें.
कब से शुरू करना चाहिए ये व्रत
बुधवार का व्रत वैसे तो किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू किया जा सकता है, लेकिन इसे विशाखा नक्षत्र वाले बुधवार से शुरू करना अत्यंत शुभदायी माना जाता है. अग्निपुराण में भी विशाखा नक्षत्र वाले बुधवार से व्रत शुरू करने की बात कही गई हैं. इसके अलावा एक बार व्रत शुरू करने के बाद कम से कम 7 व्रत रहने चाहिए. अगर समस्या ज्यादा विकट है तो 21 या 24 बुधवार तक व्रत रखें. आखिरी व्रत वाले दिन इसका उद्यापन कर दें.
ऐसे करें पूजन
स्नानादि से निवृत्त होकर बुधवार के यंत्र को मंदिर में स्थापित करें. इसके बाद भगवान गणेश को याद करके बुधवार के जितने व्रत करने हों, उसका संकल्प लें. इसके बाद उनकी पूजा करें. पूजा के दौरान उन्हें रोली, अक्षत, दीपक, धूप, दक्षिणा, दूब आदि अर्पित करें. उन्हें लड्रडू या मूंग की दाल का बना हलवा प्रसाद में चढ़ाएं. बुधदेव को याद करके बुध यंत्र का पूजन करें. बुध यंत्र पर जल और हरी इलाएची, रोली, अक्षत, पुष्प आदि अर्पित करें. इसके बाद बुधवार के व्रत की कथा पढ़ें और आरती करें.
ये भी ध्यान रहे
बुधवार के व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है. दिन में फलाहार लें और शाम के समय एक वक्त भोजन करें. इसके अलावा शाम को प्रसाद खाकर ही व्रत खोलें, इसके बाद भोजन ग्रहण करें. व्रत वाले दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को हरी मूंग की दाल, हरी सब्जी, हरे वस्त्र या कुछ भी हरे रंग का अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करें. किसी की चुगली न करें, न ही किसी के बारे में अपशब्द कहें.


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