श्राद्ध ठीक तरीके से नहीं कर सकते तो ये 5 काम अवश्य करें

16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष को पूर्वजों के प्रति अपने कर्तव्य निभाने और उनके कर्ज चुकाने के दिन कहा जाता है. इस दौरान पूर्वज अपने वंशजों से मिलने पृथ्वी लोक पर आते हैं. अगर इस दौरान आप उनका श्राद्ध ठीक तरीके से नहीं कर सकते तो ये 5 काम अवश्य करें.

Update: 2022-06-22 09:00 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इन दिनों श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) चल रहे हैं. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर ​आश्विन मास की अमावस्या तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष (Pitru Paksha) भी कहा जाता है. मान्यता है कि पितृ पक्ष में धरती से गमन कर चुके हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर अपने वंशजों से मिलने के लिए आते हैं. इस दौरान वंशज पितरों को भोजन और जल के रूप में पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करते हैं.

आमतौर पर श्राद्ध बड़े या छोटे पुत्र द्वारा किया जाता है. मंझले पुत्र और बेटियां आदि श्राद्ध नहीं करते हैं. हालांकि विशेष परिस्थितियों में ये मंझले पुत्र, पुत्री और पत्नी द्वारा भी श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जा सकता है. यदि आपके साथ भी ऐसा कुछ है, या आप किसी कारणवश अपने पूर्वजों की श्राद्ध कर पाने में असमर्थ हैं तो पितृ पक्ष के दौरान 5 काम अवश्य कीजिए. आपके इन कामों से पितरों को संतुष्टि मिलेगी और वे आपसे प्रसन्न होकर पितृ लोक लौट जाएंगे.
पितृ पक्ष के दौरान इन 5 कामों से प्रसन्न होते हैं पितर
1. जो लोग पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें सर्व पितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को घर में बुलाकर सम्मानपूर्वक भोजन कराना चाहिए और सामर्थ्य के अनुसार उन्हें वस्त्र और दक्षिणा आदि देकर विदा करना चाहिए.
2. पितृ पक्ष के दौरान धन और अनाज का दान करें. इसके अलावा गाय, कुत्ता व अन्य पशु पक्षियों की सेवा करें. मान्यता है कि इस दौरान आपके पूर्वज किसी भी रूप में आपसे मिलने आ सकते हैं. संभव हो किसी गौशाला में या मंदिर में धन, हरी घास और पूजन सामग्री का दान करें. पितरों के नाम से प्याऊ खुलवाएं. इससे पितरों को प्रसन्नता होती है.
3. अगर श्राद्ध नहीं कर पा रहे हैं तो किसी नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें. इसके बाद पितरों का ध्यान करें और काले तिल किसी जरूरतमंद को दान करें.
4. रोजाना सुबह जल्दी उठकर हनुमान बाबा की आराधना करें. सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और पितरों को शांति देने की प्रार्थना करें. पीपल पर भी नियमित रूप से जल अर्पित करें. माना जाता है कि पीपल पर अर्पित किया गया जल सीधे पितरों तक ही पहुंचता है.
5. पितृ पक्ष के दिनों में अपने पूर्वजों को सद्गति दिलाने के लिए गीता, रामायण या गरुड़ पुराण का पाठ करवाएं. यदि आप स्वयं पढ़ सकते हैं, तो खुद ही पाठ करें. अगर एक साथ पूरा नहीं पढ़ सकते तो रोजाना थोड़ा थोड़ा पढ़कर इसे पूरा करें. मान्यता है कि इससे पितरों को तमाम कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और वे संतुष्ट होते हैं.


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