: हर व्यक्ति के जीवन में ग्रह नक्षत्र और कुंडली महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। ज्योतिष अनुसार कुंडली के ग्रह व्यक्ति के जीवन में प्रभाव डालते हैं अगर आपकी कुंडली के ग्रह शुभ हैं तो वह सकारात्मकत असर आपके जीवन पर डालेंगे लेकिन अगर कुंडली का कोई भी ग्रह अशुभ है तो इसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर भी देखने को मिलेगा।
ऐसे में अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा दूषित है या फिर कमजोर होकर अशुभ फल प्रदान कर रहा है तो ऐसे में आप हर पूर्णिमा के दिन चंद्र शेयर स्तोत्र का विधिवत पाठ करें और अंत में चंद्रमा को जल अर्पित कर प्रार्थना करें मान्यता है कि इस उपाय को करने से कुंडली का चंद्रमा मजबूत होता है और शुभ फल प्रदान करता है।
चंद्रशेखर स्तोत्र—
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् |
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ‖
रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं
शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् |
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 1 ‖
मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं
पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहं |
देव सिन्धु तरङ्ग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 2 ‖
कुण्डलीकृत कुण्डलीश्वर कुण्डलं वृषवाहनं
नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरं |
अन्धकान्तक माश्रितामर पादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 3 ‖
पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहं |
भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 4 ‖
यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजङ्ग विभूषणम्
शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् |
क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 5 ‖
भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं
दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनं |
भुक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ सङ्घ निबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 6 ‖
विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं
संहरं तमपि प्रपञ्च मशेषलोक निवासिनं |
क्रीडयन्त महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 7 ‖
भक्तवत्सल मर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूत पतिं परात्पर मप्रमेय मनुत्तमं |
सोमवारिन भोहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं
चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति मयत्नतः ‖ 8 ‖
॥ इति श्री चन्द्रशेखराष्टकम् सम्पूर्णम् ॥