शिवलिंग को शिव का ही प्रतीक है जिसे हिन्दू धर्म के सबसे बड़े भगवान माना जाता है। शिवजी सभी के प्रिय होते है और इसी वजह से वह भक्तो की भक्ति से जल्दी ही प्रसन्न हो जाते है। सही विधि की गयी की पूजा से अति प्रसन्न हो जाते है। पूजा विधि अगर सही न हो तो जितने यह भोले है उतने ही जल्दी शिवजी क्रोधित भी हो जाते है। इनकी पुजा विधी के भी नियम होते है। पूजा विधि विधान से की जाये तो इनकी कृपा बनी रहती है। तो आइए जानते इनकी पूजा विधान के बारे में.......
1. घर में शिवलिंग की स्थापना आगन के बीच में ही करें। स्थापित करने से पहले ये जरुर ध्यान में रखे की भगवान् शिव के साथ नंदी और नांग का होना अनिवार्य है वरना शिवलिंग खंडित माना जाता है और ऐसे शिवलिंग को घर में स्थापित करने से उसका दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है
2. कभी भी शिवलिंग पर चढ़ाई गयी वस्तुओं को नदी समुद्र या तालाब के अलावा कहीं और न फेंके अगर आस पास नदी न हो तो घर के गमलों में डाल दें ध्यान रहे की पीपल और तुलसी की जड़ों में शिवलिंग पर चढ़ाई वस्तु रखने से बुरा प्रभाव पड़ता है।
3. शिवलिंग पर मनुष्य के पार्थिव शरीर की राख से श्रृंगार करना चाहिए परन्तु ऐसा सभी के लिए संभव नहीं है तो सफ़ेद चन्दन की लकड़ी के लेप लगाना चाहिए।
4. शिवलिंग पर गुड़हल के पुष्प या धतुरा ही चढ़ाये कभी भी केतकी के पुष्प न अर्पित करें साथ ही केवडा और चंपा के पुष्प भी वर्जित हैं क्योंकि दोनों पुष्प देवर्षि नारद द्वारा शापित हैं|
5. कभी भी शिवलिंग पर चढ़ाये गए पुष्प, चन्दन या इत्र को सूंघना मना है, साथ ही शिवलिंग पर ताजे फल या सूखे मेवे ही प्रसाद के रूप में चढ़ाना चाहिए।