कैसे जानें कौन हैं आपके इष्ट देव... किस तरह से लगा सकते हैं पता

व्यक्ति की जन्म कुंडली में पांचवा स्थान शिक्षा, संतान और अपने इष्ट देवता का होता है

Update: 2021-02-11 14:06 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |    व्यक्ति की जन्म कुंडली में पांचवा स्थान शिक्षा, संतान और अपने इष्ट देवता का होता है। जन्म कुंडली में सबसे ऊपर पहले खाने में जहां लग्न लिखा हुआ होता है, उससे बाईं और पांचवे खाने तक गिनने पर पांचवा भाव होता है। इस पंचम भाव में जो भी अंक लिखा होता है उसी के अनुसार हमारे इष्ट देव का पता चलता है। ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास बता रहे हैं कि कैसे जानें कौन हैं आपके इष्ट देव।

पांचवे स्थान में मेष राशि होने पर व्यक्ति के इष्ट देव हनुमान जी होते हैं। हनुमान जी की पूजा करने पर उन्हें शीघ्र फल मिलते हैं। विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि पांचवे स्थान में मिथुन राशि होने पर आपके इष्ट देव दुर्गा मां हैं। दुर्गा मां की पूजा करने से आपके कष्ट दूर होंगे। पंचम भाव में तुला राशि होने पर आपके इष्ट देव लक्ष्मी माता होती हैं जिनकी कृपा से आप धनधान्य से पूर्ण सकते हैं।

पंचम भाव में कर्क राशि होने से आपके इष्ट देव भगवान शंकर अथवा गणेश जी होंगे। पांचवे भाव में कन्या राशि होने से आपके इष्ट देव मां दुर्गा, सरस्वती होती हैं। पांचवें भाव में वृषभ राशि होने पर आपके इष्ट देव महालक्ष्मी होती हैं। महालक्ष्मी के विशेष रूप से पूजा करने से सारे कब कार्य सफल होते हैं।
पंचम भाव में वृश्चिक राशि होने पर आपके इष्ट देवता हनुमान हैं। पंचम भाव में सिंह राशि होने पर आपके इष्ट देव सूर्य,भगवान विष्णु या नृसिंह देव होते हैं। इनकी विशेष पूजा करने से कार्य से ग्रह फलीभूत होते हैं। पंचम भाव में धनु या मीन राशि होने पर आपके इष्टदेव भगवान विष्णु, श्री राम, श्रीकृष्ण होंगे। इनकी पूजा आपके लिए लाभदायक रहेगी।पंचम भाव में मकर और कुंभ राशि होने से आपके इष्ट देव काली माता, भैरव या शनिदेव होंगे क्योंकि यह तीनों देव तामसिक पूजा के अंतर्गत आते हैं तो इनके स्थान पर आप मां दुर्गा की पूजा भी कर सकते हैं।


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