अनंत चतुर्दशी पर ऐसे करे गणेश प्रतिमा का विसर्जन

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन किया जाता है।

Update: 2021-09-18 03:39 GMT

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन गणेशोत्सव का समापन भी होता है। मान्यता के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है और गणपति बप्पा से अगले बरस फिर आने की कामना की जाती है। पंचांग के अनुसार इस साल अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर, दिन रविवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं गणेश प्रतिमा के विसर्जन की शास्त्रोक्त विधि...

गणेश विसर्जन की शास्त्रोक्त विधि –
गणेश चतुर्थी के दिन से चल रहे भगवान गणेश के पूजन के गणेशोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। इस दिन लोंग अपने घरों और मण्ड़लों में स्थापित गणेश प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन सबसे पहले विधिवत गणेश पूजन करने के बाद हवन व स्वस्तिवाचन करना चाहिए। इसके बाद लकड़ी का स्वच्छ पाट ले कर, उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इस पाट पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा कर, उसके चारों कोनों पर सुपारी रखें। अब जयघोष के साथ गणेश प्रतिमा को पूजा स्थान से उठा कर पाट पर रखें।
पाट पर रखने के बाद पुनः गणेश जी का पूजन,अर्चन कर उनकी आरती करें। गणेश जी को फल, फूल, मोदक आदि का भोग लगा कर, उनके भोग की सामग्री को एक पोटली में बांध कर गणेश जी के साथ रख दें। इसके बाद हाथ जोड़ कर गणेश जी से पूजन में हुइ भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें और अपनी कृपा बनाएं रखने की कामना करें। इसेक बाद गणपति बप्पा मोरया का उद्घोष करते हुए पाट सहित गणेश प्रतिमा को अपने हाथों या कंधे पर रख कर विसर्जन स्थल पर ले जाएं।
गणेश प्रतिमा को पूरे सम्मान के साथ विसर्जित करें और बाद में गणेश जी की कपूर से आरती करें। अगले बरस भगवान के फिर से आने की कामना के साथ विसर्जन स्थल से विदा लें। भगवान गणेश सच्चे मन से की हुई कामना को जरूर पूरा करते हैं तथा भक्तों के सारे दुख और सकंट अपने साथ ले जाते हैं।

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