चूहा कैसे बना गणेशजी की सवारी! जानें इसके पीछे का इतिहास
बुधवार का दिन भगवान श्रीगणेश जी को समर्पित है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा उपासना की जाती है। वहीं, सभी धार्मिक कार्यों में सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा करने का भी विधान है।
बुधवार का दिन भगवान श्रीगणेश जी को समर्पित है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा उपासना की जाती है। वहीं, सभी धार्मिक कार्यों में सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा करने का भी विधान है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश बाल्यावस्था में बेहद नटखट रहे हैं। उनकी शरारत की कथा शास्त्रों एवं पुराणों में निहित है। उनकी शरारत में सवारी मूषक का भी पूर्ण सहयोग रहता था। किदवंती है कि चिरकाल में माता पार्वती की आज्ञा पाकर गणेश जी ने भगवान शिव को गृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी। इस वजह से भगवान शिव ने उनका मस्तक धड़ से अलग कर दिया था। जब माता पार्वती को यह बात की जानकारी हुई, तो उन्होंने शिव जी से यथाशीघ्र पुत्र को ठीक करने की बात की। उस समय ऐरावत का मस्तक लगाकर गणेश जी को जीवित किया। वहीं, गणेश जी की सवारी मूषक की कथा भी बेहद रोचक है। आइए जानते हैं-