विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा को कैसे और क्यों दिया जाता है अर्घ्य...जाने इसके पीछे का महत्व

आज 17 मार्च को विनायक या वरद चतुर्थी है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या वरद चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

Update: 2021-03-17 05:17 GMT

आज 17 मार्च को विनायक या वरद चतुर्थी है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या वरद चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीगणेश को समर्पित इस तिथि को लोग मनचाहे वरदान की प्राप्ति के लिए विघ्नहर्ता की पूजा करने के साथ ही व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन विधि-विधान से पूजा करने वालों भक्तोंके श्रीगणेश समस्त कष्ट दूर करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। विनायक चतुर्थी के दिन श्रीगणेश की पूजा के साथ चंद्र दर्शन और अर्घ्य का विशेष महत्व होता है।

चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि सूर्योदय से शुरू होने वाला वरद चतुर्थी व्रत चंद्र दर्शन के बाद पूर्ण होता है। इसलिए चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन जरूरी होते हैं। मान्यता है कि आज के दिन भगवान गणेश की पूजा करने सुख-समृद्धि के साथ जीवन में खुशहाली आती है


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