नई दिल्ली: हिंदू धर्म में हर पर्व-त्योहार, खास मौकों के लिए कुछ खास नियम बनाए गए हैं, जिनका जरूर पालन करना चाहिए. वरना कई तरह के नुकसान झेलने पड़ते हैं. होली के त्योहार और उससे पहले लगने वाले 8 दिनों के होलाष्टक को लेकर भी ऐसे ही नियम हैं. फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले होलिका दहन से पहले 8 दिन तक होलाष्टक रहते हैं. इस दौरान कुछ शुभ काम नहीं किए जाते हैं. हालांकि भगवान की पूजा-उपासना करने के लिए यह समय उत्तम माना गया है. इस साल आज यानी कि 10 मार्च 2022, गुरुवार से होलाष्टक शुरू हो रहे हैं. जो कि 17 मार्च को होलिका दहन के दिन खत्म होंगे.
होलाष्टक में न करें ये काम
शास्त्रों में कहा गया है कि होलाष्टक के 8 दिन में भगवान की भक्ति करना बहुत अच्छा होता है. होलाष्टक के दौरान एक परंपरा है कि पेड़ की एक शाखा को भगवान विष्णु के परमभक्त प्रहलाद का रूप मानकर जमीन पर लगा दिया जाता है और उस पर रंगीन कपड़ा बांध दिया जाता है. इसके बाद अगले 8 दिनों तक उस पूरे क्षेत्र में कोई शुभ काम जैसे- शादी, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं होता है और केवल भगवान की पूजा-उपासना की जाती है.
होलाष्टक में न करें ये काम
- होलाष्टक के 8 दिन तक कोई भी मांगलिक कार्य न करें. इस दौरान 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार आदि गलती से भी नहीं करने चाहिए. ऐसा करने से वे बुरा फल देते हैं.
- होलाष्टक के दौरान हवन, यज्ञ कर्म आदि भी नहीं करनी चाहिए.
- होलाष्टक के दौरान नवविवाहित लड़कियों को अपने मायके में ही रहना चाहिए. इसीलिए आमतौर पर होलाष्टक से पहले ही नवविवाहित लड़कियों को मायके से बुलावा आ जाता है.