Hartalika Teej Vrat Katha: हरतालिका तीज के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

Update: 2024-09-06 01:10 GMT
Hartalika Teej Vrat Katha: इस बार हरतालिका तीज का व्रत आज यानी 6 सितंबर, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. यह व्रत भी हरियाली तीज की तरह ही रखा जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए, माता पार्वती ने सबसे पहले इस व्रत को रखा था. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से ही भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए थे और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इस व्रत का पूर्ण फल पाने के लिए
पूजा के दौरान
हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. इस व्रत कथा के बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है और इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है.
हरतालिका तीज व्रत कथा Hartalika Teej Vrat Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने पार्वती के रूप में हिमालय राज के घर जन्म लिया. माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी. इसके लिए उन्होंने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बचपन से ही कठोर तपस्या करनी शुरू की दी थी. इस कठोर तपस्या में माता पार्वती ने अन्न और जल का भी त्याग कर दिया था. वे भोजन के लिए मात्र सूखे पत्ते खाया करती थीं. अपनी पुत्री को इस अवस्था में देखकर उनके माता-पिता बहुत दुखी थे.
एक दिन देवऋषि नारद पार्वती जी के विवाह के लिए भगवान विष्णु का प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास आए. माता पार्वती के माता पिता को देवऋषि नारद का यह प्रस्ताव बहुत पसंद आया. इस प्रस्ताव के बारे में उन्होंने अपनी पुत्री पार्वती को सुनाया. माता पार्वती इस बात से बहुत दुखी हुईं, क्योंकि वे मन ही मन में भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं. माता पार्वती ने भगवान विष्णु से विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया|
माता पार्वती ने अपनी सखियों को अपनी समस्या बताई और कहा कि वे सिर्फ भोलेनाथ को मन ही मन अपना पति मान चुकी हैं और सिर्फ उन्हें ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी. यह सुनकर उनकी सखियों ने उनको वन में जाकर छिपने और तपस्या करने की सलाह दी. तब माता पार्वती घने वन में जाकर एक गुफा में भगवान शिव की तपस्या करने लगीं. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनाया
और पूरे विधि
विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना की और रातभर जागरण किया. पार्वती जी के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया.
जिस तरह कठोर तपस्या कर के माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया, उसी तरह से हरतालिका तीज का व्रत करने वाली सभी महिलाओं का सुहाग अखंड बना रहें और उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहें. मान्यता है कि जो कोई भी कन्या इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक करती है, उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती से अखंड सुहाग की प्रार्थना करनी चाहिए|
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