Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज में फुलेरा, पिटारी और मंडप का महत्व

Update: 2024-09-06 03:20 GMT
Hartalika Teej 2024: आज हरतालिका तीज मनाया जा रहा है। इस दिन शिवजी की चाहर प्रहर में पूजा-आराधना की जाती है। 16 श्रृंगार करती हैं। हरतालिका तीज के दिन श्रृंगार का सामान दान करने का भी विशेष महत्व है। मान्यतता है कि ऐसा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। साथ ही हरतालिका तीज की पूजा में फुलेरा,पिटारी समेत कई सामग्री का प्रयोग किया जाता है। इसके बिना हरतालिका तीज का व्रत अधूरा मानाजाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में
मंडप : मंडप बनाने के लिए सबसे पहले लकड़ी की चौकी रखें। इस दिन बालू और मिट्टी के शिव, शिवलिंग ,गणेश और मां पार्वती की मूर्ति बनाते हैं। इसके बाद शिव-गौरी के लिए एक मंडप सजाया जाता है। सजावट के लिए केले के पत्तों और फूलों का इस्तेमाल करते हैं। मंडप के ऊपर फुलेरा बांधा जाता है और फुलेरा बांधने के बाद चौकी के ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर शिव-गौरी की मूर्ति स्थापित की जाती है।
फुलेरा : इस दिन शिव-पार्वर्ती को अर्पित करने के लिए फूल-पत्तियों और जड़ी-बूटियों से बांस के झूले जैसा दो फुलहरा बनाते हैं। पहले फुलहरा में शिव-पार्वती और गणेशजी को बेलपत्र,सेवंतिका,बांस,जातीपत्र,देवदार पत्र, चंपा, कनेर,अगस्त्य,भृगंराज, धतूरा,आम का पत्ता,नीम,अशोक का पत्ता, पान का पत्ता, केला का पत्ता और शमी पत्र अर्पित किया जाता है। दूसरे फुलहरा में नवकंचनी,नवबेलपत्र,चिलबिनिया,सागौर के फूल, हनुमंत सिंदूरी, शिल भिटी,शिवताई,वनस्तोगी,लज्जाती, बिजिरिया, धतूरे का फूल, धतूरा, मदार,त्तिलपत्ति, बिंजोरी,निगरी,रांग पुष्ट, देवअंतु, चरबेर, झानरपत्ती, सात प्रकार की समी और मौसत पुष्प से जैसे जड़ी-बूंटी शामिल किए जाते हैं। प्राकृतिक फूल पत्तियों और जड़ी-बूटियों से ही फुलहरा का निर्माण किया जाता है। यह लगभग 7 फुट लंबा होता है।
सुहाग पिटारा : हरतालिका तीज के दिन मां पार्वती को 2 सुहाग पिटारा अर्पित किए जाते हैं। जिसमें इत्र,मेंहदी,चूड़ियां,पायल,बिछिया,बिंदी समेत सुहाग की 16 सामग्री होती है। इसके अलावा दूसरे में पूजा की थाली में फल फूल, मिठाई, पंचामृत, कपूर, कुमकुम, केसर,कमल का जल,आम, गन्ने का रस, अबीर, चंदन और पीतल का कलश शामिल होता है। इस दिन मां पार्वती को खीर,शहद,हलवा, गुड़ और घी का भोग भी लगाया जाता है।
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