कृषकों के इस खास पर्व पर मनाई जाएगी हरियाली अमावस्या
हरियाली अमावस्या 8 अगस्त को मनाई जाएगी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हरियाली अमावस्या 8 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग, पुष्य नक्षत्र और स्नान दान की श्रावण अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। इससे पर्व की शुभता और बढ़ेगी। इसी दिन दीप पूजा भी की जाएगी। इस पर्व पर खेतों में खड़ी फसल अच्छी उगे, किसान खुशहाल रहे, इसी कामना के साथ किसान खेत-खलियान में काम आने वाले औजार हल, हंसिया आदि की पूजा-अर्चना करेंगे।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक इस बार हरियाली अमावस्या पर रविपुष्य, सर्वार्थसिद्धि और श्रीवत्स नाम के शुभ योग बन रहे हैं। चंद्रमा और शनि अपनी ही राशि में रहेंगे साथ ही सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग भी रहेगा। सितारों की इस शुभ स्थिति में इस पर्व पर किए गए शुभ कामों का फल और भी बढ़ जाएगा।
8 अगस्त को मनेगी हरियाली अमावस्या
हरियाली अमावस्या पर सुबह तकरीबन 9.30 तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। रविवार को पुष्य नक्षत्र हो तो इससे रविपुष्य योग बनता है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी है। इन दो शुभ योगों में सावन की अमावस्या पर भगवान भोलेनाथ के साथ ही पितृ पूजा करने से पितृ दोष दूर होने की भी मान्यता है। जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए इस दिन पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए। साथ ही सूर्यदेव को जल अर्पण करके तुलसी पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।
सालों में एक बार बनता है ये संयोग
डॉ. मिश्र के मुताबिक हर महीने एक अमावस्या आती है साथ ही पुष्य नक्षत्र भी हर महीने आता है। लेकिन रविवार को पुष्य नक्षत्र का योग साल में एक या दो बार ही होता है। वहीं, हरियाली अमावस्या साल में एक बार सावन महीने के दौरान होती है। इसलिए इस पर्व पर रविपुष्य का संयोग कई सालों में एक बार बनता है। यह संयोग स्नान-दान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन नदियों, तीर्थों में स्नान, गोदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र दान करना पुण्य फलदायी माना जाता है।
खेती के औजारों की पूजा का पर्व
हरियाली अमावस्या किसानों का त्योहार है। इस दिन किसान अपने द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली हल, बैल और हर तरह के औजार कुदारी, फावड़ा सहित जो खेती बाड़ी में काम आते हैं उसकी पूजा करते हैं। इस दिन बैलों की पूजा अर्चनाकर उन्हें जंगल से लाए औषधी वाले पत्ते खिलाते हैं। ताकि उनकी सेहत अच्छी रहे और लंबे समय तक खेती में रुकावटें न आएं।