आठों सिद्धियों और नौ निधियों के दाता भगवान हनुमान का जन्म चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी रामनवमी के ठीक छह दिन बाद हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। यहां पर हनुमान जयंती की जगह हनुमान जन्मोत्सव कहना ज्यादा उचित होगा, क्योंकि बजरंगबली को अजर-अमर माना जाता है। हनुमान जी आज भी धरती पर सशरीर मौजूद हैं और जीवित लोगों के अवतरण दिवस को जयंती की जगह जन्मोत्सव कहा जाता है। हनुमान जन्मोत्सव विश्वभर में हनुमत भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। इस पावन दिन मारुति नंदन की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। बड़े-बड़े पर्वत उठाने वाले, समुद्र लांघ जाने वाले और स्वयं ईश्वर का कार्य संवारने वाले संकट मोचन हनुमान की आराधना करने से जीवन में किसी प्रकार का भय नहीं रहता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव कब है और इस दिन पूजा आराधना के क्या विधान हैं...
हनुमान जन्मोत्सव 2024 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024 को सुबह 03 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 24 अप्रैल 2024 को सुबह 05 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदया तिथि 23 अप्रैल को प्राप्त हो रही है, इसलिए हनुमान जन्मोत्सव 23 अप्रैल को मनाया जाएगा।
हनुमान जन्मोत्सव 2024 पूजा मुहूर्त
इस साल जन्मोत्सव जयंती पर ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक है। अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं इस दिन हनुमान जी की पूजा का मुहूर्त सुबह 09 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक है।
हनुमान जन्मोत्सव 2024 पर बन रहा अद्भुत संयोग
इस साल हनुमान जन्मोत्सव का महत्व और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि 23 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव के दिन मंगलवार है और मंगलवार का दिन बजरंगबली को समर्पित है। ऐसे में इस दिन पूजा करने से दोगुना फल की प्राप्ति होगी।
हनुमान जन्मोत्सव की पूजा विधि
हनुमान जन्मोत्सव के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहने और बजरंगबली के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इस दिन पीला या फिर लाल रंग का वस्त्र धारण करना शुभ होता है। बजरंगबली की मूर्ति या प्रतिमा को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें, जिस पर पहले से ही पीले रंग का वस्त्र बिछा हुआ हो। फिर बजरंगबली के समक्ष घी का दीपक जलाएं और जल छिड़ककर कच्चा दूध, दही, घी और शहद मिलाकर बजरंगबली का अभिषेक करें। इसके बाद बजरंगबली को लाल या पीले रंग का कपड़ा, कलावा, फूल, धूप, अगरबत्ती और दीया आदि अर्पित कर विधिवत पूजा करें। आखिर में हनुमान जी आरती और चालीसा का पाठ कर पूजा संपन्न करें और हनुमान जी से भूलचुक के लिए क्षमा मांगें। साथ ही आशीर्वाद पाने की कामना करें। इस दिन हनुमान भक्तों को हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड और रामायण का पाठ करना चाहिए