हलहारिणी अमावस्या से होता है वर्षा ऋतु का आगमन, सुख-समृद्धि पाने के लिए करें यह उपाय
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या को अषाढ़ी अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है। इस अमावस्या को बहुत विशेष माना गया है। इस दिन पितरों के निमित्त दान व तर्पण करने का विधान है। अमावस्या तिथि को पितृदोष और कालसर्प दोष दूर करने के लिए शुभ माना जाता है। आषाढ़ अमावस्या के दिन कुछ उपायों को अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
हलहारिणी अमावस्या पर स्नान, दान, श्राद्ध और व्रत का महत्व है। माना जाता है कि इस दिन से वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है। किसानों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से हलहारिणी अमावस्या भी एक है। इस दिन किसान अपने खेतों में बैलों से काम नहीं कराते बल्कि उन्हें घास चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं। इस दिन किसान हल और खेती में प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। किसान इस त्योहार को अच्छी वर्षा और अच्छी पैदावार का संकेत मानते हैं। मान्यता है कि इस दिन कृषि उपकरणों की पूजा करने से फसलों का उत्पादन अच्छा होता है। घर में धन धान्य में वृद्धि होती है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पितरों को जल में काला तिल मिलाकर तर्पण करें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान दक्षिणा दें। कौआ, गाय, कुत्ता को भी भोजन का कुछ अंश प्रदान करें। आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। अमावस्या के दिन दीप दान का विशेष महत्व है। इस दिन तर्पण कार्य करने से पितरों को शांति प्राप्त होती है। आषाढ़ अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा करें। शनिदेव की पूजा और हनुमान जी की उपासना करें। इस दिन दीप और फूल एक पत्ते के कटोरे में रखकर जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आने वाले संकट दूर हो जाते हैं।