Gudi Padwa 2021: 13 अप्रैल को गुड़ी पड़वा, जानें कैसे मनाते हैं यह त्यौहार

गुड़ी पड़वा

Update: 2021-04-08 13:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  पौरााणिक दृष्टि से सबसे महत्‍वपूर्ण माना जाने वाले चैत्र मास का आरंभ हो चुका है और चैत्र मास के शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और महाराष्‍ट्र में इस तिथि को उगादि कहते हैं और इस दिन यहां गुड़ी पड़वा का त्‍योहार मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा नई फसल के आगमन की खुशी मनाने का त्‍योहार है और कई राज्‍यों में इसे फसल दिवस के रूप में मनाते हैं। इस साल गुड़ी पड़वा 13 अप्रैल को है और गोवा महाराष्‍ट्र के साथ ही अन्‍य दक्षिण भारत के कुछ राज्‍यों में इस दिन को विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वहीं उत्‍तर भारत में इस दिन से नवरात्र का आरंभ होता है और 9 दिन तक मां दुर्गा की उपासना का पर्व चलता है। मान्‍यता है कि इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। आइए जानते हैं कैसे मनाते हैं यह त्‍योहार और क्‍या है इसका महत्‍व…

गुड़ी पड़वा का महत्‍व
मान्‍यता है कि इस दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी ने संसार की रचना की थी और बुराइयों का अंत किया था। इस दिन ब्रह्माजी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि इस दिन अपने घर को सजाने और गुड़ी फहराने से घर में सुख समृद्धि आती है और बुराइयों का नाश होता है।
गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा की तिथि : 13 अप्रैल 2021
प्रतिपदा का आरंभ : 12 अप्रैल सोमवार को सुबह 8 बजे से
प्रतिपदा तिथि का समापन : 13 अप्रैल, मंगलवार को सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक।
गुड़ी पड़वा की पूजाविधि
गुड़ी पड़वा की पूजा आरंभ करने से पहले पूरे घर की अच्‍छी प्रकार से साफ-सफाई की जाती है और सूर्योदय से भी पहले स्‍नान किया जाता है। इसके बाद महाराष्‍ट्र के घरों में मुख्‍य द्वार को तोरण यानी आम के पत्‍तों के बंदनवार या फिर अशोक के पत्‍तों के बंदनवार से सजाया जाता है। उसके बाद गुड़ी बनाई जाती है और इसे घर के एक हिस्‍से में शुभ दिशा देखकर लगाया जाता है।
ऐसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा

गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और इसे विजय के प्रतीक के रूप में लगाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना तैयार की थी और इससे शत्रुओं का पराभव किया था। इसी के प्रतीक के रूप में महाराष्‍ट्र में यह त्‍योहार गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है जबकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में इसे उगादि के रूप में मनाया जाता है। महाराष्‍ट्र में इस दिन घरों में पारंपरिक व्‍यंजन जैसे पूरन पोली, श्रीखंड मीठे चावल आदि बनाए जाते हैं। इस दिन लोग नए वस्‍त्र पहनकर खुशियां मनाते हैं और रिश्‍तेदारों को अपने घर आमंत्रित करते हैं।


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