Govardhan Puja 2021: जानिए गोवर्धन पूजा विधि एवं मुहूर्त

सनातन धर्म में हर वर्ष कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की प्रतिपदा (दीवाली के अगले दिन) के दिन गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है

Update: 2021-11-01 08:34 GMT

सनातन धर्म में हर वर्ष कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की प्रतिपदा (दीवाली के अगले दिन) के दिन गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है. यह दिन गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण को समर्पित होता है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा 05 नवंबर, शुक्रवार 2021, को की जाएगी. हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इसके तहत वेदों में वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विस्तृत वर्णन है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरावासियों की रक्षा स्वरूप गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्र के प्रकोप से मथुरावासियों को बचाया था और इंद्र के घमंड को खत्म किया था. इसके बाद से ही मथुरावासियों ने अपने घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की शुरुआत की थी, जो बाद में परंपरा बन गई.

इस दिन नई फसल से उत्पन्न अन्न की पूजा भी की जाती है, इसीलिए इस इसे अन्नकूट का पर्व भी कहा जाता है. इस पर्व से यह संदेश मिलता है कि हमारा जीवन प्रकृति प्रदत्त संसाधनों पर निर्भर है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 05 नवंबर 2021 के दिन गोवर्धन पूजा की जायेगी. यहां बात करेंगे गोवर्धन पूजा के महात्म्य, विधि एवं प्रचलित कथा के संदर्भ में.
पूजा-विधि
कार्तिक मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन सुबह-सवेरे शरीर पर तेल की मालिश कर स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर के मुख्य द्वार पर गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाएं. इस पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा रखें. चार सुपारी को इंद्र, वरुण, अग्नि एवं राजा बलि का प्रतीक मानते हुए श्रीकृष्ण के समीप रखें. अब घर के बने विभिन्न पकवान, खीर एवं मिठाइयां आदि भोग स्वरूप श्रीकृष्णजी के सामने रखें. पान, सुपारी, रोली, अक्षत, इत्र, पुष्प एवं दही-चीनी के मिश्रण का प्रसाद के साथ सभी देवताओं की पूजा करें. पूजा के पश्चात कथा सुनें अथवा सुनाएं, और प्रसाद का वितरण करें. अंत में किसी ब्राह्मण को भोजन एवं वस्त्रादि दान करें.
पूजा का मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारंभः रात्रि 02.44 AM (05 नवंबर 2021) से
प्रतिपदा तिथि समाप्तः 11.14 AM बजे (05 नवंबर 2021) तक
नोटः उदयातिथि होने के कारण प्रतिपदा तिथि 05 नवंबर को ही मानी जायेगी. गोवर्धन एवं अन्नकूट पूजा 05 नवंबर (शुक्रवार) 2021 को मनाई जाएगी.
गोवर्धन पूजा की कथा
एक बार श्रीकृष्ण ग्वालोंबालों के साथ पशु चराते हुए गोवर्धन पर्वत पहुंचे. वहां कुछ लोगों को कोई उत्सव मनाते देख श्रीकृष्ण ने इसकी वजह पूछी. गोपियों ने बताया कि ये इंद्रदेव की पूजा हो रही है, ताकि वे प्रसन्न होकर वर्षा करें, जिससे खेतों में अन्न उत्पन्न हो, और ब्रजवासियों का भरण-पोषण हो. श्रीकृष्ण ने कहा कि इंद्र से अधिक शक्तिशाली गोवर्धन पर्वत है, जिनसे वर्षा होती है, तब उनकी बात मानकर लोगों ने गोवर्धन की पूजा शुरु कर दी. इससे इंद्र ने क्रोधित होकर मेघों को गोकुल में मूसलाधार बारिश का आदेश दिया. तब भयभीत होकर गोकुलवासी श्रीकृष्ण के पास पहुंचे. श्रीकृष्ण ने उन्हें गोवर्धन-पर्वत की शरण में जाने को कहा. लेकिन बारिश लगातार जारी रही. श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा पर उठा लिया. इंद्र निरंतर बरसते रहे, मगर गोवर्धन के नीचे स्थित एक भी ब्रजवासी भीगा नहीं. इंद्र विस्मित रह गये. अंततः ब्रह्मा जी ने उन्हें श्रीकृष्ण के बारे में बताया कि वे साक्षात विष्णु का रूप हैं. सच्चाई पता चलते ही इंद्र ने भगवान श्रीकृष्ण से छमा मांगी. इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरु हुई, जो आज तक जारी है.
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