धर्म : सूर्य और चंद्रमा को न सिर्फ धरती पर जीवन के लिए आवश्यक माना जाता है बल्कि ज्योतिष में भी इन 2 ग्रहों को महत्वपूर्ण माना गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य को पिता, राजनीति, नेतृत्व क्षमता, आत्मा, सरकारी कार्य या नौकरी आदि का कारक माना गया है। वहीं चंद्रमा को माता, मन आदि का कारक माना जाता है। चंद्रमा शांत ग्रह की श्रेणी में आता है। लेकिन सूर्य को अग्नि और आक्रामकता का प्रभुत्व प्राप्त है। यदि यह दोनों ग्रह किसी जातक की कुंडली के पहले घर में विराजमान होते हैं तो क्या फल देते हैं। आइये जानते हैं।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे से जितना दूर होंगे, यह जातक को उतना ही शुभ परिणाम देंगे। चंद्र, सूर्य से जितना दूर होगा, उतना ही शक्तिशाली होगा। वहीं, जब भी यह दोनों ग्रह कुंडली में युति बनाते हैं तो इसे अमावस्या योग कहा जाता है। कुंडली का पहला भाव या घर व्यक्ति के स्वभाव का कारक माना जाता है। जब इस घर में सूर्य-चंद्रमा की युति बनती है तो चंद्रमा जातक को मानसिक शांति प्रदान करता है। उसे गोरा व शारीरिक रुप से आकर्षक बनाता है। जबकि, लग्न में विराजमान सूर्य देव जातक को पराक्रमी बनाता है।