जनता से रिश्ता वेबडेस्क |स्वामी रामतीर्थ विदेश यात्रा पर निकले थे। जिस जहाज से वह यात्रा कर रहे थे उसी में एक 90 वर्षीय जर्मन से उनकी मुलाकात हुई। वह बुजुर्ग चीनी भाषा सीख रहे थे।
इस उम्र में उन्हें एक नई भाषा सीखते देख स्वामी रामतीर्थ को बेहद आश्चर्य हुआ। चीनी एक कठिन भाषा मानी जाती थी।साधारण चीनी भाषा सीखने के लिए भी कम से कम 5000 चित्रों का ज्ञान होना जरूरी होता है और भाषा में दक्षता के लिए तो एक लाख चित्रों का ज्ञान। इसमें दक्षता हासिल करने के लिए कई साल लग जाते हैं।
वृद्ध जर्मन ने रामतीर्थ से कहा, ‘‘मौत तो जन्म के साथ ही द्वार पर खड़ी हो जाती है। रही बात उम्र की, तो मैं जिन्दगी भर सीखने और काम करने में इतना व्यस्त रहा कि मुझे अपनी बढ़ती उम्र का पता ही नहीं चला।
वैसे तो परिचित लोग मुझे 90 वर्ष से ऊपर का बताते हैं, लेकिन मैं तो अभी बच्चा हूं और बच्चे का मुख्य काम केवल सीखना और काम करना होता है और मैं वही कर रहा हूं।’’