मेष लग्‍न वालों के लिए रत्‍न और उनका प्रभाव, जान लेंगे तो फायदे में रहेंगे

Update: 2022-06-30 10:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Gemology in Hindi: हर लग्न व राशि वालों के लिए ग्रहों का खेल बदलता रहता है. वैसे तो एक एक मिनट के बदलाव का भी असर पड़ता है. आमतौर पर रत्नों का निर्धारण लग्न के आधार पर किया जाता है. आज हम लोग जानते हैं कि मेष लग्न वालों के लिए अलग-अलग रत्न कैसा प्रभाव देते हैं. साथ ही हम यह भी जानेंगे कि कौन सा रत्न घातक साबित हो सकता है. वैसे रत्नों का निर्धारण व्यक्तिगत कुंडली से ही करना सबसे अच्‍छा होता है. लिहाजा कोई भी रत्न धारण करने से पहले विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लेना चाहिए.

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मेष लग्‍न वालों के लिए रत्‍न और उनका प्रभाव
माणिक्य- माणिक्य रत्न सूर्य से संबंधित है. मेष लग्न में सूर्य पंचम भाव के स्वामी हैं. पंचम भाव सकारात्‍मक भाव होता है. यहां से मस्तिष्क, संतान और मेधा सक्रिय होती है. मेष के स्वामी मंगल होते हैं और उनकी सूर्य के साथ मित्रता है. मेष लग्न के लोगों को बुद्धि प्राप्ति, संतान सुख, यश, राज्य-कृपा प्राप्ति के लिए माणिक्य धारण करना चाहिए. यदि सूर्य की दशा चल रही हो तो भी कुंडली में कमजोर सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक्य धारण किया जाता है.
मोती- मेष लग्न में चन्द्र चतुर्थ भाव के स्वामी हैं. चौथे भाव का संबंध सुख, शिक्षा एवं सामाजिक सुख से होता है. चन्द्रमा मेष लग्न के स्वामी मंगल का मित्र है. चंद्रमा का रत्न मोती होता है. मोती धारण करने से मेष लग्न के जातक मानसिक शान्ति, मातृ सुख, विद्या लाभ, गृह - भूमि लाभ आदि प्राप्त कर सकते हैं . चन्द्रमा की महादशा में मोती पहनना लाभदायी हो सकता है.
मूंगा- मेष लग्न के स्‍वामी मंगल हैं. साथ ही यह अष्टम यानी आयु भाव के भी स्वामी हैं. आयु भाव को मृत्यु भाव भी कहते हैं. यह भाव नकारात्मक होता है. चूंकि लग्न के भी स्वामी है इसलिए इसकी नकारात्मकता नगण्य हो जाती है. लग्न का रत्न धारण करने से शारीरिक बल प्राप्त होता है, साथ ही प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है. मूंगा धारण करना मेष लग्न वालों के लिए सकारात्मक होता है इसको धारण करने से ऊर्जा में भी वृद्धि होती है. इसे धारण करने से आयु, बुद्धि, स्वास्थ्य उन्नति, मान-सम्‍मान प्राप्त होगा और साथ ही जातक सभी प्रकार से सुखी होगा.
पन्ना- पन्ना रत्न बुध से संबंधित है. बुध को मजबूत करने के लिए पन्ना रत्न धारण किया जाता है. मेष लग्न के लिए बुध 2 भावों तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं. तीसरा भाव प्रतिभा, नेटवर्क, क्षमताओं से संबंधित होता है और छठा भाव रोग, कर्ज और कर्ज से संबंधित है. मंगल के साथ बुध की मित्रता नहीं है और ना ही यहां सकारात्मक भावों का आधिपत्य है. इसलिए पन्ना सामान्यतः बहुत कारगर नहीं होता है, लेकिन व्यक्तिगत ग्रहों के आंकलन करने के पश्चात इसे धारण किया जा सकता है.
पुखराज- पुखराज बृहस्पति यानी गुरु ग्रह से संबंधित रत्न है. मेष लग्न के लिए बृहस्पति नवें और बारहवें भावों के स्वामी है. नवे भाव को भाग्य भाव कहते हैं. यहां से भाग्य फलित होता है. बृहस्पति मेष लग्न के लिए शुभ ग्रह माना गया है. पुखराज धारण करने से जातक की बुद्धि, बल, ज्ञान, विद्या में उन्नति, धन, मान-प्रतिष्ठा तथा भाग्य में उन्नति होती है. इसकी महादशा में पुखराज धारण करना लाभदायक सिद्ध हो सकता है.
हीरा- मेष लग्न के लिए शुक्र दूसरे और सातवें भाव का स्वामी हैं. यह भाव कोष एवं दांपत्य के भाव होते हैं. हीरा का संबंध शुक्र ग्रह से है. मेष वालों के लिए शुक्र पूर्ण मार्केश यानी मारक प्रभाव रखने वाले होते हैं. इसके अतिरिक्त मंगल और शुक में परस्पर मित्रता नहीं है. शुक्र से ही धन प्राप्ति, दाम्पत्य-सुख, समृद्धि देने वाला होता है. लेकिन हीरा बिना सलाह के हीरा धारण नहीं करना चाहिए. शुक्र के नकारात्मक भाव के स्वामी होने के कारण हीरा नकारात्मक हो सकता है. इसलिए इसे पहनने से पहले किसी विद्वान ज्‍योतिषी से अच्‍छी तरह कुंडली की जांच करवा लें.
नीलम- नीलम रत्न का संबंध शनि ग्रह से हैं. मेष लग्न के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं. मेष लग्न वालों के लिए यह दोनों भाव करियर से संबंधित होते हैं. एकादश के स्वामित्व के कारण शनि को लग्न के लिए बहुत शुभ ग्रह नहीं माना जाता है. लेकिन कुंडली में शनि की स्थिति देखने के बाद नीलम धारण करने से हर दिशा में लाभ होता है.


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