Garuda Purana : गरुड़ पुराण को क्यों सुनना चाहिए, जानिए इसका महत्व
कहा जाता है कि गरुड़ पुराण में कही गई हर बात स्वयं नारायण के मुख से निकली है. किसी की मृत्यु के बाद जब परिजन गरुड़ पुराण का पाठ करवाते हैं, तो आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है और परिजनों को सही राह पर चलने की प्रेरणा मिलती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर मृत्यु के बाद की स्थितियों और स्वर्ग और तमाम तरह के नर्क के बारे में बताया गया है. इसे सुनने के बाद व्यक्ति को ये मालूम पड़ जाता है, कि कौन सी चीजें व्यक्ति को सद्गति की ओर ले जाती हैं और कौन सी दुर्गति की ओर ले जाती हैं.
गरुड़ पुराण में उन्नीस हजार श्लोक में से सात हजार श्लोक ऐसे हैं, जो व्यक्ति को ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, सदाचार, यज्ञ, तप आदि का महत्व बताते हैं और लोगों को सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं.
किसी की मृत्यु के बाद जब उस घर में गरुड़ पुराण का पाठ होता है तो इस बहाने मृतक के परिजनों को सही और गलत के बीच का अंतर पता चल जाता है. ऐसे में वे खुद निर्धारित कर सकते हैं कि उन्हें कौन से कर्म करने चाहिए.
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि किसी की मृत्यु के बाद 13 दिनों तक मृतक की आत्मा उसी घर में वास करती है. ऐसे में जब गरुड़ पुराण का पाठ कराया जाता है, तो वो आत्मा भी इसका श्रवण करती है. इससे उसे शांति मिलती है.
गरुड़ पुराण सुनने के बाद आत्मा को मुक्ति का मार्ग पता चल जाता है. इसके बाद वो अपने सारे संताप को भूलकर प्रभु मार्ग पर चलकर सद्गति प्राप्त कर या तो पितरलोक में चली जाती है या फिर से मनुष्य योनी में जन्म ले लेती है. उसे प्रेत बनकर भटकना नहीं पड़ता. इसीलिए परिवार में किसी की मृत्यु के बाद परिजन गरुड़ पुराण का पाठ करवाते हैं.