Garuda Purana : गरुड़ पुराण में मासिक धर्म को लेकर क्या कहा गया है…
महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म की पीड़ा से गुजरना पड़ता है. कई बार महिलाओं के जेहन में ये खयाल भी आता है कि ऐसा हमारे साथ ही क्यों होता है? इसका जवाब गरुड़ पुराण में दिया गया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गरुड़ पुराण के मुताबिक मासिक धर्म के दौरान महिलाएं इंद्र का पाप भोगती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार इंद्र ने गुरू के वेश में आए एक राक्षस का अंत किया था, जिसके बाद उन्हें गुरू की हत्या का पाप लगा था. उस पाप को कम करने के लिए उसे नदी, धरती, वृक्ष और महिलाओं में बांटा गया. महिलाओं के बीच वो पाप पीरियड्स के रूप में सामने आया.
पीरियड्स के दौरान महिलाएं अछूत मानी जाती हैं, साथ ही उन्हें काफी कष्ट भी झेलने पड़ते हैं. वे इस बीच न तो वो कुछ काम करती हैं और न ही घर से बाहर ही निकलती हैं. पहले के समय में महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान अलग व्यवस्था की गई थी. तब तो उन्हें इस दौरान छूना भी वर्जित था.
महिलाओं को सातवें दिन तक किसी भी देव और पितृ कार्य करने की मनाही होती है. लेकिन चौथे दिन से वे स्नान आदि के बाद घर की रसोई संभाल सकती हैं और दूसरों को छूने लायक मान ली जाती हैं.
गरुड़ पुराण के मुताबिक जो व्यक्ति गर्भवती महिला या मासिक धर्म से पीड़ित महिला का अपमान करता है, उसके साथ गलत बर्ताव करता है, ऐसे लोगों को पाप का भागीदार बनना पड़ता है. इसके अलावा मासिक धर्म के दौरान महिला पहले से ही काफी परेशानियां और दर्द झेलती है. ऐसे में यदि पति अपनी पत्नी के साथ संबन्ध बनाए तो इसे महापाप माना जाता है और नरक की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं.