ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन गणगौर पूजा विशेष मानी जाती है जो कि शिव गौरी की साधना का पर्व होता है। गणगौर पूजा को देशभर में अलग अलग नामों से जाना जाता है। गणगौर का पर्व हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है इस बार यह तिथि 11 अप्रैल से आरंभ हो रही है।
आपको बता दें कि गणगौर पूजा चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। इस दौरान शादीशुदा व कुंवारी कन्याएं माता पार्वती और शिव की पूजा अर्चना करती है और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है। इस पर्व को खास तौर पर राजस्थान में मनाया जाता है।
गणगौर का पर्व कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना हेतु करती है। माना जाता है कि इस दौरान व्रत पूजा करने से पति पत्नी के बीच शिव पार्वती जैसा प्रेम बना रहता है और वैवाहिक जीवन भी अच्छा बना रहता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गणगौर पूजा से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
आपको बता दें कि राजस्थान में गणगौर का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन से आरंभ हो जाता है जो कि अगले 17 दिनों तक चलता है 17 दिनों में हर रोज भक्त शिव पार्वती की प्रतिमा बनाई जाती है और उनकी विधिवत पूजा की जाती है इसके बाद चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके व्रत पूजा करती है और शाम के वक्त गणगौर की कथा सुनती है। मान्यता है कि इस दिन मां गौरी को जितने अधिक गहने अर्पित किए जाते हैं घर परिवार में सुख समृद्धि और शांति उतनी ही आती है।