पितरों की देहांत तिथि भूल गए, तो इस दिन करें श्राद्ध

पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व होता है

Update: 2021-10-02 15:43 GMT

Pitru Amavasya 2021 : पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व होता है. पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के 16 दिन हमारे पूर्वजों को समर्पित होते हैं. समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध किये जाने को लेकर ही इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है. छह अक्टूबर को अमावस्या सर्वार्थसिद्धि योग, ब्रह्मयोग सहित अन्य योग संयोगों में मनाई जाएगी. इस दिन पितृपक्ष यानि श्राद्ध पक्ष भी खत्म होगा, वहीं इसके अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत भी होगी. कहा जाता है कि इन दिनों में पितरों को यमराज की ओर से मुक्त कर दिया जाता है. ऐसे में हमारे पूर्वज पृथ्वी पर अपने वंशजों के बीच आते हैं और उनसे अन्न जल की अपेक्षा रखते हैं. पूर्वजों की इस आशा को पूरा करने के लिए ही श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं. सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि पता नहीं होती है. सर्व पितृ अमावस्या को आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहते हैं. इस साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 06 अक्टूबर, बुधवार को है. शास्त्रों में बताया गया है कि श्राद्ध और तर्पण के जरिए ही हमारे पितरों को अन्न और जल प्राप्त होता है. शास्त्रों में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है.

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व

सर्वपितृ (अर्थात सभी पितरों को) अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाना शास्त्र सम्मत है. दिन ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों के श्राद्ध का विधान है यानि जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि याद ना हो वो भी इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर पित्तरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. वैसे तो प्रत्येक अमावस्या तिथि को तर्पण और पिंडदान किया जा सकता है, लेकिन पितृपक्ष पड़ने वाली इस अमावस्या तिथि पर पिंडदान, श्राद्ध, व पितरों के निमित्त दान करने का खास महत्व होता है. इस मौके पर विभिन्न जगहों पर पौधरोपण, आत्म शांति के लिए तर्पण किया जाएगा. सुबह से दान पुण्य का दौर जारी रहेगा. गलता तीर्थ सहित अन्य जगहों पर भक्त आस्था की डुबकी नहीं लगा सकेंगे. माना जाता है कि पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं, जिससे आपके घर में समृद्धि और खुशहाली आती है

सर्वपितृ अमावस्या मुहूर्त
सर्वपितृ अमावस्या तिथि आरंभ- 5 अक्टूबर 2021, मंगलवार 07:04 पीएम से.
अमावस्या तिथि आरंभ- 6 अक्टूबर 2021, बुधवार 04:35 पीएम तक.
पितरों को विदा करने की विधि
प्रातः उठकर बिना साबुन के स्नान करें व स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
अब श्राद्ध के लिए सात्विक भोजन तैयार करें.
बनाए गए पकवान में से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकाल कर एक थाली में लगाएं.
अब अपने घर के आंगन में या छत पर जाकर पत्तल को दोनो में भोजन को जल के साथ रखें.
अब पितरों से उसे ग्रहण करने की प्रार्थना करें और गलतियों की क्षमा मांगे.
अपने घर की देहरी पर उपले की अंगार पर घी, चीनी और चावल के कुछ दाने डालकर अग्नि प्रज्वलित कर अग्यारी करें.
शाम के समय सरसों के तेल के दीपक जलाकर चौखट पर रखें.
अब पितरों से आशीर्वाद बनाए रखने और अपने लोक लौटने का आग्रह करें.

Sarva Pitru Amavasya Date 2021: श्राद्ध पक्ष : सर्वपितृ अमावस्या की पौराणिक कथा

पितृपक्ष की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध- 20 सितंबर 2021.
प्रतिपदा श्राद्ध- 21 सितंबर 2021.
द्वितीया श्राद्ध- 22 सितंबर 2021.
तृतीया श्राद्ध- 23 सितंबर 2021.
चतुर्थी श्राद्ध- 24 सितंबर 2021.
पंचमी श्राद्ध- 25 सितंबर 2021.
षष्ठी श्राद्ध- 27 सितंबर 2021.
सप्तमी श्राद्ध- 28 सितंबर 2021.
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर 2021.
नवमी श्राद्ध- 30 सितंबर 2021.
दशमी श्राद्ध- 01 अक्टूबर 2021.
एकादशी श्राद्ध- 02 अक्टूबर 2021.
द्वादशी श्राद्ध- 03 अक्टूबर 2021.
त्रयोदशी श्राद्ध-04 अक्टूबर 2021.
चतुर्दशी श्राद्ध- 05 अक्टूबर 2021.
अमावस्या श्राद्ध- 06 अक्टूबर 2021.
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