चाणक्य की इन बातों का करें अनुसरण
आचार्य चाणक्य की गिनती देश के महान विद्वानों और ज्ञानियों में की जाती है।
आचार्य चाणक्य की गिनती देश के महान विद्वानों और ज्ञानियों में की जाती है। इनकी नीतियों में एक आम से मनुष्य को भी राजा और महान बनाने की शक्ति है। चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र में पिरोया है जिसे देशभर में चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है।
आचार्य चाणक्य ने मानव जीवन से जुड़े हर पहलु पर अपनी नीतियों का निर्माण किया है जिसका अनुसरण करके मनुष्य सफलता और सुख का आनंद प्राप्त कर सकता है। चाणक्य ने अपनी नीतियों के द्वारा कुछ ऐसी बातों का भी जिक्र किया है जिसे अपनाकर मनुष्य दूसरों से हमेशा ही दो कदम आगे रह सकता है, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा चाणक्य की नीति के बारे में विस्तार से बता रहे हैं तो आइए जानते है।
आज की चाणक्य नीति—
चाणक्य नीति अनुसार जिस स्थान या देश में आपको सम्मान, सत्कार नहीं मिलता है या फिर जहां किसी आजीविका का कोई साधन ना हो। जहां ज्ञान आर्जित करने का भी कोई साधन न मिलें। ऐसे देश या स्थान पर रहने का कोई लाभ नहीं होता है इन जगहों को तुरंत ही त्याग देना बेहतर होता है। इसके अलावा व्यक्ति को सरल व सीधे स्वभाव का नहीं होना चाहिए। उनके अनुसार जो लोग अधिक सीधे और सरल होते है, तो चालाक और चतुर लोग उनके इस स्वभाव का गलत लाभ उठाते है। इसलिए चाणक्य नीति कहती है कि विनम्र बनिए परंतु सीधे नहीं। चाणक्य नीति कहती है कि हर व्यक्ति को अपनी ताकत और अपनी कमजोरी का पता होना जरूरी है। इसके साथ ही किसी भी कार्य के लिए कौन सा वक्त सही है कौन आपका मित्र है और कौन आपका शत्रु है अगर इन सभी बातों के बारे में आपको पहले से ही मालूम होगा। तो आप अपने जीवन में कभी भी मात नहीं खाएंगे। नीति अनुसार ज्ञान और अच्छी वस्तु को ग्रहण करना उत्तम माना जाता है। ज्ञान की प्राप्ति के लिए किसी का कुल या जाति नहीं देखनी चाहिए। बल्कि उसे अपना लेना ही बेहतर होता है।
चाणक्य नीति कहती है कि हर व्यक्ति को अपनी ताकत और अपनी कमजोरी का पता होना जरूरी है। इसके साथ ही किसी भी कार्य के लिए कौन सा वक्त सही है कौन आपका मित्र है और कौन आपका शत्रु है अगर इन सभी बातों के बारे में आपको पहले से ही मालूम होगा। तो आप अपने जीवन में कभी भी मात नहीं खाएंगे। नीति अनुसार ज्ञान और अच्छी वस्तु को ग्रहण करना उत्तम माना जाता है। ज्ञान की प्राप्ति के लिए किसी का कुल या जाति नहीं देखनी चाहिए। बल्कि उसे अपना लेना ही बेहतर होता है।