सावन का पहला प्रदोष व्रत 5 अगस्त को, ऐसे करें पूजा महादेव का मिलेगा आर्शीवाद

Update: 2021-07-28 13:57 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं।इस समय सावन का महीना चल रहा है। सावन मास भोलेनाथ को अतिप्रिय होता है। सावन मास में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व अधिक होता है। आइए जानते हैं सावन माह प्रदोष व्रत डेट, पूजा- विधि, महत्व...

प्रदोष व्रत डेट-

कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त को है। 5 अगस्त को गुरुवार है, इसलिए इस प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा।

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मुहूर्त

श्रावण, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ - 05:09 पी एम, अगस्त 05

श्रावण, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ समाप्त - 06:28 पी एम, अगस्त 06

प्रदोष काल-07:09 पी एम से 09:16 पी एम

प्रदोष काल-

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

अगर संभव है तो व्रत करें।

भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।

इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान शिव की आरती करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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