300 साल पुरानी परंपरा निभाते हैं पूर्वांचल के किसान, बाबा विश्वनाथ का करते हैं जलाभिषेक

Update: 2023-09-03 12:06 GMT
सावन मास बीतने के बाद अब पूर्वांचल के किसान बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने उमड़ रहे हैं। बात अगर परंपराओं की करें तो तीन सौ साल से अधिक समय से किसानों के जलाभिषेक की परंपरा आज तक जारी है।
बाबा विश्वनाथ के दरबार में कांवड़ियों के रूप में किसानों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। सावन के महीने में खेती किसानी से खाली होने के बाद पूर्वांचल के गांवों से किसान अब टोलियों में कांवड़ लेकर बाबा के धाम पहुंच रहे हैं। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि किसानों के जलाभिषेक का सिलसिला भादो मास पर्यंत चलता है। पिताजी और दादा जी से हमने सुना था कि पिछली दो शताब्दी से किसान बाबा का जलाभिषेक करने आते हैं। भादो ही उनके लिए सावन की तरह होता है। गाजीपुर से आए किसान विनय गिरी ने बताया कि हम लोग पीढि़यों से भादो के महीने में बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परंपरा निभा रहे हैं। कोरोना काल को छोड़ दें तो हर साल हम लोग अपनी टोली के साथ भादो के महीने में बाबा की कांवड़ यात्रा करते हैं। मंदिर प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में दर्शनार्थियों की संख्या सवा लाख के आसपास पहुंच रही है।
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