एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत से बनते हैं बिगड़े हुए काम, जानिए डेट, महत्व और पूजा से जुड़ी जानकारी

एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत

Update: 2021-05-27 07:23 GMT

Ekdant Sankashti Chaturthi 2021: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित होती है। ऐसे में इस दिन भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल एकदंत संकष्टी चतुर्थी 29 मई 2021 को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। संकटों से विघ्नहर्ता मुक्ति दिलाते हैं।


एकदन्त संकष्टी चतुर्थी के दिन शुभ और शुक्ल दो शुभ योग बन रहे हैं। शुभ योगों के बनने के कारण संकष्टी चतुर्थी का महत्व बढ़ रहा है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि के दिन शुभ योग सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शुक्ल योग लग जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ और शुक्ल योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है।


एकदन्त संकष्टी चतुर्थी का महत्व और पूजा विधि

चतुर्थी तिथि कब से कब तक-


29 मई की सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक तृतीया तिथि रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि लगेगी, जो कि 30 मई की सुबह 04 बजकर 03 मिनट तक रहेगी।

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एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन राशि और नक्षत्र-


इस दिन चंद्रमा धनु राशि में रात 11 बजकर 40 मिनट तक उसके बाद मकर राशि पर संचार करेगा। इस दिन सूर्य वृषभ राशि पर संचार करेगा।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2021 शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 03:35 ए एम से 04:17 ए एम तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:18 ए एम से 12:13 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:01 पी एम से 02:55 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:19 पी एम से 06:43 पी एम तक।
अमृत काल- 01:40 पी एम से 03:08 पी एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:25 पी एम से 12:06 ए एम, मई 30 तक।
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