Dussehra 2021: माता पार्वती के श्राप से मंदोदरी बन गई थीं मेंढक, जानें कैसे हुआ रावण के साथ विवाह?

बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक दशहरा (Dussehra) त्यौहार को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है.

Update: 2021-10-15 14:32 GMT

Dussehra 2021: बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक दशहरा (Dussehra) त्यौहार को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 15 अक्टूबर (शुक्रवार) को दशहरा सेलिब्रेशन होने जा रहा है. विजयादशमी को मनाने को लेकर दो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं उनमें से एक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंकाधिपति रावण का वध किया था. क्या आप जानते हैं कि रावण का विवाह मंदोदरी के साथ हुआ था. पूर्व जन्म में मंदोदरी (Mandodari) एक श्राप की वजह से मेंढ़क बन गईं थी. यह श्राप उन्हें माता पार्वती द्वारा दिया गया था. आइए जानते हैं मंदोदरी के मेंढ़क बनने और उसके बाद लंकाधीश रावण से होने वाले विवाह की कथा.

यह है पौराणिक कथा
लंकापति रावण और मंदोदरी के विवाह के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन कम ही लोगों को यह मालूम है कि रावण से विवाह के पूर्व जन्म में मंदोदरी मेंढ़क थीं. उन्हें यह रुप माता पार्वती के श्राप की वजह से मिला था. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मधुरा नाम की अप्सरा घूमते हुए कैलाश पर्वत पर पहुंच गई. वहां उन्होंने भगवान शिव को तपस्या में लीन देखा और उन पर मोहित हो गईं. इस वजह से मधुरा ने भगवान भोले को आकर्षित करने का प्रयत्न किया. इसी दौरान वहां पर माता पार्वती आ गईं और उन्हें मधुरा पर क्रोध आ गया.
आवेश में उन्होंने मधुरा को 12 साल तक मेंढ़क बनकर कुएं में रहने का श्राप दे दिया. इस बीच भगवान शिव की तंद्रा टूटी और उन्होंने पार्वती जी को मनाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं मानीं. उन्होंने मधुरा से कहा कि वह अपना श्राप तो वापस नहीं लेंगी लेकिन अगर वह कठोर तप करती है तो अपने वास्तविक रुप में वापस आ सकती है.
मां पार्वती द्वारा दिखाए गए मार्ग के बाद मधुरा ने लंबे वक्त तक कठोर तप किया. इस दौरान असुरों के देवता मायसुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा भी पुत्री प्राप्ति के लिए तपस्या कर रहे थे. उधर अपने कठोर तप की वजह से मधुरा मां पार्वती के श्राप से मुक्त हो जाती है और कुएं से बाहर निकालने के लिए आवाज देती है. एक दिन मायासुर अपनी पत्नी के साथ गुजरते हैं तो उन्हें मधुरा की कुएं से आवाज सुनाई देती है और वे उसे बाहर निकाल लेते हैं. वे दोनों मधुरा को बेटी के रुप में गोद ले लेते हैं. मायासुर अपनी गोद ली हुई बेटी का नाम मंदोदरी रखते हैं. जिनका आगे चलकर विवाह रावण के साथ होता है.
रावण-मंदोदरी विवाह की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लंकापति रावण मायासुर से मिलने के लिए उनके घर पहुंचा. वहां उनकी खूबसूरत पुत्री मंदोदरी को देखकर वह मंत्रमुग्ध सा हो गया और उसने मायासुर के
सामने उनकी बेटी से विवाह की इच्छा जताई. हालांकि मायसुर को यह रिश्ता पसंद नहीं था इस वजह से उन्होंने इसे ठुकरा दिया, लेकिन रावण नहीं माना और उसने बलपूर्वक मंदोदरी से विवाह किया.
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