हनुमान जी को सिंदूर काफी पसंद है तो आज हम आपको हनुमान जी के सिंदूर प्रेम से जुड़ी कथा के बारे में बताते है...
हनुमान जी को सिंदूर क्यों चढ़ाते हैं
लंका विजय के बाद जब रामचंद्र जी अयोध्या के राजा बने, तो हनुमान जी भी अपने प्रभु की सेवा में अयोध्या में ही थे। एक दिन माता सीता स्नान के बाद माथे पर सिंदूर लगा रही थीं, उन्हें हनुमान जी बड़े ही आश्चर्य भाव से देख रहे थे। जब उनसे नहीं रहा गया, तो पूछ ही लिया कि माते, आप अपने माथे पर यह क्या लगा रही हैं और क्यों लगा रही हैं। हनुमान जी के प्रश्नों को सुनकर माता सीता मुस्कुराने लगीं। उन्होंने हनुमान जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए कहा कि वे अपने माथे पर प्रतिदिन सिंदूर लगाती हैं और इसे देखकर भगवान श्रीराम बहुत ही प्रसन्न होते हैं। हनुमान जी को यह बात आश्चर्य वाली लगी कि उनके प्रभु यह लाल रंग की वस्तु लगाने से बहुत प्रसन्न होते हैं।
प्रभु श्रीराम को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी कुछ भी कर सकते है। उन्होंने सोचा कि माता सीता अपनी ललाट पर थोड़ा ही सिंदूर लगाती हैं जिसको देख कर भगवान श्रीराम खुश हो जाते है तो अगर मैं इसको अपने पूरे शरीर पर लगा लू तो भगवान राम अत्यंत ही प्रसन्न हो जाएंगे। हनुमान जी ने बड़े ही प्रेम से अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगा लिया और राम दरबार में पहुंच गए। राम दरबार में हनुमान जी के इस स्वरुप को देखकर हर कोई उनका मजाक बनाने लगा। प्रभु राम और माता सीता भी हनुमान जी का यह रूप देखकर मुस्कुराने लगे। उधर हनुमान जी प्रभु के प्रेम में डूबे हुए थे। तब रामजी ने पूछा कि आपने अपने पूरे शरीर में सिंदूर क्यों लगा लिया है?
तब बजरंगबली ने कहा कि माता सीता अपने माथे पर सिंदूर लगाती हैं, तो आप प्रसन्न होते हैं। इस वजह से मैंने अपने पूरे शरीर पर ही सिंदूर लगा लिया ताकि आप अति प्रसन्न हो जाएंगे। उनके जवाब को सुनकर प्रभु राम और माता सीता मुस्कुराने लगे। इस वजह से हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर चढ़ाया जाता है।
हनुमान जी के मंत्र
– ॐ तेजसे नम:
– ॐ प्रसन्नात्मने नम:
– ॐ शूराय नम:
– ॐ शान्ताय नम:
– ॐ मारुतात्मजाय नमः