8 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के दिन साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है. इस दौरान कई तरह के शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. कहा जाता है कि इस दौरान एक स्थान पर बैठकर भगवान का स्मरण और मंत्र जाप करने से कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है. इस दौरान सूतक काल में ही मंदिरों के पाट बंद कर दिए जाते हैं. खाने के सामान में तुलसी का पत्ता डाल दिया जाता है, ताकि खाने पर ग्रहण का प्रभाव न पड़े.
लेकिन क्या आप ये जानते हैं, इस दौरान तुलसी के पौधे को भी खास ध्यान की जरूरत होती है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि ग्रहण के दौरान तुलसी मां को भी बेहद ध्यानपूर्वक रखा जाता है. तुलसी में मां लक्ष्मी का वास होता है और ग्रहण के आपकी जरा सी लापरवाही लक्ष्मी मां को भी नाराज कर सकती है. ज्योतिष शास्त्र में तुलसी के पौधे को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, आइए जानें.
ग्रहण के दौरान तुलसी के पौधे के नियम
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान तुलसी के गमले पर अगर गेरू लगा दिया जाए, तो ग्रहण के प्रभाव से इसे खराब होने से बचाया जा सकता है.
ज्योतिषीयों का कहना है कि तुलसी के पौधे को ग्रहण के दौरान सूती कपड़े से ढक देना चाहिए. हालांकि, शास्त्रों में तुलसी को एक पूजनीय स्थान प्राप्त है और इसे पूजनीय माना गया है. और कहा गया है कि ग्रहण से तुलसी कभी भी अपवित्र नहीं होती.
कहा जाता है कि ग्रहण की किरणें जब तुलसी के पौधे पर पड़ती हैं, तो इससे वे मरझा जाता है. इसलिए तुलसी के पौधे को मुरझाने से बचाने के लिए उसे सूती कपड़े से ढक दिया जाता है.
शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण के दौरान भगवान की किसी भी चीज और मूर्ति आदि को हाथ नहीं लगाया जाता है. ऐसे में तुलसी के पौधे को भी छूना मना होता है. कहते हैं कि सूतक से पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़ लें. सूतक से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक तुलसी के पौधे को हाथ भी न लगाएं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण से पहले ही तुलसी के पौधे को ऐसे स्थान पर रख दें, जहां पर छांव हो. साथ ही, तुलसी में गंगाजल का छिड़काव भी करना चाहिए. ऐसा करने से ग्रहण के दौरान पौधा मुरझाता नहीं है.
सूतक के बाद तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए. ग्रहण के समापन पर तुलसी के पूजा क रने के बाद ही उसे स्पर्श कर सकते हैं. ऐसे में तुलसी को पहले जल अर्पित किया जाता है. लेकिन इस बात का खास ख्याल रखें कि जल सिर्फ सभी अर्पित करें, जब शाम से पहले का समय हो. ग्रहण अगर शाम के बाद समाप्त होता है, तो तुलसी के पौधे को बिल्कुल भी हाथ न लगाएं.
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान तुलसी का सेवन भी नहीं करना चाहिए. ग्रहण के बाद तुलसी का सेवन किया जा सकता है.