अहोई अष्टमी व्रत में इस तरह करने से कम हो सकती है संतान की आयु, इन बातों का रखें खास ख्याल

हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है।

Update: 2020-11-06 08:46 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन संतान के दीर्घायु होने तथा उसके सुखी जीवन के लिए माताएं निर्जला व्रत रखती हैं। अहोई व्रत रखने के भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है। हालांकि जिन माताओं को स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, उनके लिए नियमों में छूट होती है। आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी व्रत में किन नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

अहोई अष्टमी व्रत के नियम

1. अहोई अष्टमी का व्रत रहने से एक दिन पूर्व तामसी भोजन अर्थात् मांस, लहसुन, प्याज, मदीरा आदि का सेवन न करें।

2. व्रत से पूर्व रात्रि को सादा भोजन करें। व्रत के लिए मन, वचन और कर्म से भी शुद्ध होना आवश्यक होता है।

3. अहोई अष्टमी का व्रत करने वाले को दोपहर के समय सोने से परहेज करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि दोपहर में सोने से संतान की आयु में कमी हो सकती है।

4. अहोई अष्टमी की पूजा में सबसे पहले प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की आराधना विधिपूर्वक करनी चाहिए। उनकी पूजा से आगे का कार्य बिना बाधा के पूर्ण होता है।

5. अहोई अष्टमी की पूजा में पुराने करवे या करवा चौथ के करवे का प्रयोग न करें। इसके लिए नए करवे का प्रयोग करना उत्तम होगा।

6. अहोई अष्टमी व्रत का भोजन तथा पारण के खाद्य पदार्थ में तेल, लहसुन तथा प्याज का प्रयोग करना वर्जित होता है।

7. इस व्रत में कांसे के बर्तन का प्रयोग भूलकर भी न करें। कांसे के बर्तनों का प्रयोग करना अशुभ होता है।

8. इस दिन व्रत रहने वाले व्यक्ति को काले रंग के वस्त्रों या रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नीले रंग का भी प्रयोग न करें तो उचित होगा।

9. शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा के बाद तारों को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण करें।

10. व्रत के दिन दूसरों के प्रति नकारात्मक विचार अपने मन में न लाएं। संतान के साथ उत्तम व्यवहार करें।

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