आषाढ़ अमावस्या के दिन ऐसे करें यज्ञ, मिलेगा फल और धन

आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या आषाढ़ अमावस्या कहलाती है। इस अमावस्या नदी में स्नान करके पितरों की पूजा की जाती है। आषाढ़ मास की इस अमावस्या में हल और खेतों में उपयोग होने वाले उपकरणों का भी पूजन होता है।

Update: 2022-06-13 03:33 GMT

आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या आषाढ़ अमावस्या कहलाती है। इस अमावस्या नदी में स्नान करके पितरों की पूजा की जाती है। आषाढ़ मास की इस अमावस्या में हल और खेतों में उपयोग होने वाले उपकरणों का भी पूजन होता है। इसीलिए इस अमावस्या को हलधारिणी अमावस्या भी कहते हैं। इसी कारणवश किसानों के लिए यह दिन बेहद महत्वपूर्ण है। आषाढ़ अमावस्या के दिन किसान पूरे विधि विधान से हल पूजन करते हैं और वर्षा के देवता वरुण से अपनी अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं । सूर्य को प्रात: काल जल देने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं अपने पितरों को भी प्रसन्न करने के लिए पवित्र जल से स्नान करके उन्हें जल दिया जाता है ऐसा करने से खेतों में अच्छी उपज होती है और किसानों को वरुण देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है सिंचाई के सीमित साधन होने की वजह से आषाढ़ मास की अमावस्या के दिन यज्ञ करने पर फसल को नुकसान नहीं पहुंचता और जल की कमी नहीं होती है। इस बार आषाढ़ अमावस्या 28 जून, मंगलवार को है। आइए जानते हैं आषाढ़ अमावस्या का शुभ मुहूर्त, महत्व और यज्ञ करने की विधि।

आषाढ़ अमावस्या के दिन ऐसे करें यज्ञ

आषाढ़ अमावस्या की तिथि और मुहूर्त

आषाढ़ मास अमावस्या तिथि प्रारंभ: 28 जून, मंगलवार, प्रातः 5:53 से

आषाढ़ मास अमावस्या तिथि समाप्त: 29 जून, बुधवार, प्रातः 8:23

आषाढ़ अमावस्या के दिन ऐसे करें यज्ञ

आषाढ़ अमावस्या की पूजा का महत्व

अमावस्या तिथि पर कई लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। इस दिन पितृ तर्पण, नदी स्नान और दान-पुण्य आदि करना ज्यादा फलदायी माना जाता है। इतना ही नहीं यह तिथि पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी गई है। अत: पितृ कर्म के लिए यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है।

आषाढ़ अमावस्या के दिन ऐसे करें यज्ञ

आषाढ़ अमावस्या पर ऐसे करें यज्ञ

आषाढ़ अमावस्या पर वरुण देव को प्रसन्न रखने के लिए ये यज्ञ किया जाता है। इसके साथ ही अपने पितरों को भी प्रसन्न करने के लिए पवित्र जल से स्नान करके उन्हें जल दिया जाता है। ऐसा करने से खेतों में अच्छी उपज होती है और किसानों को वरुण देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है । सिंचाई के सीमित साधन होने की वजह से आषाढ़ मास की अमावस्या के दिन यज्ञ करने पर फसल को नुकसान नहीं पहुंचता और जल की कमी नहीं होती है। आषाढ़ अमावस्या पर सत्य, आस्था और निर्मल मन श्राद्ध कर्म से माता-पिता और गुरू की आत्मा तृप्त हेाती है। वेदों के अनुसार श्राद्ध और तर्पण हमारे माता-पिता व गुरू के प्रति सम्मान का भाव है। जिससे हमारे आने वाली पीढ़ी अपने माता-पिता का सम्मान व आदर करें। यह यज्ञ सम्पन्न होता है, सन्तानोत्पत्ति से। यह यज्ञ करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।

आषाढ़ अमावस्या के दिन ऐसे करें यज्ञ

आषाढ़ अमावस्या पूजा विधि

अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें।

ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें।

सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।

आषाढ़ अमावस्या के दिन कर्मकांड के साथ अपने पितरों का तर्पण करें।

पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।

जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।

ब्राह्मणों को भोजन कराएं।


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