बाबा बर्फानी के गुफा में क्या रहते है दो कबूतर, क्या कनेक्शन है 'बाबा बर्फानी से' जानिए
धर्म अध्यात्म: आस्था की मानक अमरनाथ यात्रा का प्रारंभ 1 जुलाई से होने जा रहा है और ये यात्रा 31 अगस्त को समाप्त होगी। कहते हैं 'बाबा बर्फानी' का दर्शन करने से इंसान के सारे कष्टों का अंत तो होता ही है साथ ही उसे मोझ की प्राप्ति होती है। अमरनाथ की गुफा बहुत सारे राज को संजोए हुई है। माना जाता है कि इस गुफा के अंदर शिव-शंभूस्वयं निवास करते हैं तो वहीं यहां का 'बर्फानी शिवलिंग' भी अपने आप में अलौकिक है, तो वहीं इस गुफा के अंदर एक कबूतर का जोड़ा भी देखा जाता है और माना जाता है कि वो आदिकाल से यहां निवास कर रहे हैं। अब इसके पीछे काफी दिलचस्प कहानी है। पार्वती ने भगवान शिव से 'अमरत्व' का राज पूछा कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से 'अमरत्व' का राज पूछा था। लेकिन शिव जी उनकी बात को टाल रहे थे लेकिन जब पार्वती जी उनके पीछे ही पड़ गई तो उन्होंने कहा कि 'चलो बताता हूं' और फिर वो वो माता पार्वती, पुत्र गणेश और नंदी बैल के साथ हिमालय की ओर निकल गए। 'पहलगाम' का नाम नंदी बैल की वजह से पड़ा सबसे पहले उन्होंने मार्ग में नंदी बैल को छोड़ा और जहां उन्होंने उसे छोड़ा था उसका नाम पड़ा 'पहलगाम', इसके बाद उन्होंने अपने माथे से चंद्रमा को उतारा, जहां उन्होंने उसे छोड़ा था वो जगह कहलाई 'चंदनवाड़ी' , इसके बाद उन्होंने अपनी जटाओ से गंगा को निकाला, जहां उन्होंने ऐसा किया वो स्थान कहलाया 'पंचतरिणी' और इसके बाद उन्होंने गले में लिपटे सर्प को छोड़ा और वो स्थान कहलाया 'शेषनाग' और इसके बाद उन्होंने अपने बेटे गणपति को जहां छोड़ा वो स्थान कहलाया 'गणेश टॉप'। शिव ने खोजी गुफा और सुनाई 'अमरत्व' की कहानी शिव नहीं चाहते थे कि मां पार्वती के अलावा 'अमरत्व 'का ज्ञान कोई और सुने और इसके बाद उन्हें मिली एक गुफा, जहां पहुंचना किसी के लिए आसान नहीं होता।
जानिए यात्रा का कितना है खर्चा? कबूतर के जोड़े ने सुन लिया वो राज इसके बाद भगवान शिव ने उस गुफा में मां पार्वती को ज्ञान देना शुरू किया लेकिन इसी बीच मां पार्वती सो गईं। इसके बाद जब शिव ने आंखें खोली तो मां पार्वती को सोया हुआ पाया लेकिन तभी उनकी नजर वहां मौजूद कबूतर के जोड़ों पर पड़ी।जिन्होंने उनकी पूरी बात सुन ली थी। कबूतरों को मिला अमर होने का आशीष शिव जी को उन पर बहुत गुस्सा आया, इससे पहले कि वो उन्हें खत्म करते, वो दोनों कबूतर उनके चरणों में गिर गए, उन्होंने कहा कि अगर आप हमें मारेंगे तो आपकी कथा झूठी साबित हो जाएगी, शिव जी को उनकी चतुराई पसंद आई और उन्होंने उन दोनों को अमर होने का आशीष दिया और तब से ही माना जाता है कि दोनों कबूतर आज भी गुफा में जीवित हैं। इंसान के सारे कष्टों का अंत हो जाता है आप ध्यान से एक बात देखिए, अमरनाथ गुफा तक की यात्रा पहलगाम से होती है, जिसमें रास्ते में 'चंदनवाड़ी', 'पंचतरिणी', 'शेषनाग' और 'गणेश टॉप' आते हैं। कहते हैं इस गुफा में स्थित स्वयं भू बर्फानी शिवलिंग को दर्शन करने से 100 गुना फल की प्राप्ति होती है और इंसान के सारे कष्टों का अंत हो जाता है।