द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर करें ये काम दूर होगी जीवन के सारे कष्ट

Update: 2024-02-28 10:04 GMT
ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन भगवान श्री गणेश को समर्पित द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर साल फाल्गुन मास में मनाई जाती है इस दिन गणपति की विधिवत पूजा का विधान होता है मान्यता है कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है और जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है।
पंचांग के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है इस बार यह पर्व 28 फरवरी दिन बुधवार यानी की आज मनाया जाता है इस दिन बुधवार पड़ने के कारण इस व्रत का महत्व और बढ़ गया है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ ही अगर श्रद्धा भाव से गणेश संकटनाशन स्तोत्र का पाठ किया जाए तो तमाम परेशानियों का निवारण हो जाता है और जीवन में खुशहाली आती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
गणेश संकटनाशन स्तोत्र
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।1।।
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।
तृतीयंकृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रंचतुर्थकम।।2।।
लम्बोदरं पंचमंच षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णतथाष्टकम्।।3।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तुविनायकम।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तुगजाननम।।4।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।5।।
विद्यार्थी लभतेविद्यांधनार्थी लभतेधनम्।
पुत्रार्थी लभतेपुत्रान्मोक्षार्थी लभतेगतिम्।।6।।
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलंलभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभतेनात्र संशय: ।।7।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।
तस्य विद्या भवेत्सर्वागणेशस्य प्रसादत:।।8।। ॥
इति श्रीनारदपुराणेसंकष्टनाशनंगणेशस्तोत्रंसम्पूर्णम्॥
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