हरियाली अमावस्या पर करे ये कथा, पितरों की आत्मा के शांति के लिए करें व्रत

हिंदी पंचांग के अनुसार सावन मास चल रहा है। मास का प्रत्येक दिन पवित्र माना जाता है। सावन में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है।

Update: 2021-08-08 02:53 GMT

हिंदी पंचांग के अनुसार सावन मास चल रहा है। मास का प्रत्येक दिन पवित्र माना जाता है। सावन में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। सावन कृष्ण पक्ष के चतुर्थी शिवरात्रि पूजा के अगले दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व आज08 अगस्त दिन रविवार को पड़ रहा है। सावन अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या के दिन नदी स्नान और दान का बड़ा महत्व है। मान्यता के अनुसार इस दिन अपने पितरों की आत्मा के शांति के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध किया जाता है। आइए जानते हैं सावन के हरियाली अमावस्या की कथा क्या है।

हरियाली अमावस्या की कथा

बहुत समय पहले एक राजा प्रतापी राजा था। उनको एक बेटा और एक बहू थे। एक दिन बहू ने चोरी से मिठाई खा लिया और नाम चूहे का लगा दिया। जिसकी वजह से चूहे को बहुत गुस्सा आ गया। उसने मन ही मन निश्चय किया कि चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा। एक दिन राजा के यहां कुछ मेहमान आयें हुए थे। सभी मेहमान राजा के कमरे में सोये हुए थे। बदले की आग में जल रहे चूहे ने रानी की साड़ी ले जाकर उस कमरे में रख दिया। जब सुबह मेहमान की आंखें खुली और उन्होंने रानी का कपड़ा देखा तो हैरान रह गए। जब राजा को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी बहू को महल से निकाल दिया।

रानी रोज शाम में दिया जलाती और ज्वार उगाने का काम करती थी। रोज पूजा करती गुडधानी का प्रसाद बांटती थी। एक दिन राजा उस रास्ते से निकल रहे थे तो उनकी नजर उन दीयों पर पड़ी। राजमहल लौटकर राजा ने सैनिकों को जंगल भेजा और कहा कि देखकर आओ वहां क्या चमत्कारी चीज थी। सैनिक जंगल में उस पीपल के पेड़ के नीचे गए। उन्होंने वहां देखा कि दीये आपस में बात कर रही थी। सभी अपनी-अपनी कहानी बता रही थीं। तभी एक शांत से दीये से सभी ने सवाल किया कि तुम भी अपनी कहानी बताओ। दीये ने बताया वह रानी का दीया है। उसने आगे बताया कि रानी की मिठाई चोरी की वजह से चूहे ने रानी की साड़ी मेहमानों के कमरें में रखा था और बेकसूर रानू को सजा मिल गई।



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