शुक्रवार के दिन करें मां लक्ष्मी का ये पाठ, पूरे परिवार का होगा कल्याण

Update: 2023-08-11 04:18 GMT

ज्योतिष: सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता हैं वही शुक्रवार का दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की आराधना के लिए उत्तम दिन माना जाता हैं इस दिन भक्त देवी मां की पूजा अर्चना करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।

लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन श्री महालक्ष्मी अष्टक का संपूर्ण पाठ मन से किया जाए तो भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं साथ ही परिवार का कल्याण भी होता हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र का संपूर्ण पाठ।

श्री महालक्ष्मी अष्टक

श्री शुभ ॥ श्री लाभ ॥ श्री गणेशाय नमः॥

नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते ।

शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥१॥

नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी ।

सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥२॥

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी ।

सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥३॥

सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी ।

मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ४ ॥

आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी ।

योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ५ ॥

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स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे ।

महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ६ ॥

पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी ।

परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥७॥

श्वेतांबरधरे देवी नानालंकार भूषिते ।

जगत्स्थिते जगन्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥८॥

महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः ।

सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं ।

द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्वितः ॥१०॥

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रूविनाशनं ।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥

॥ इतिंद्रकृत श्रीमहालक्ष्म्यष्टकस्तवः संपूर्णः ॥

- अथ श्री इंद्रकृत श्री महालक्ष्मी अष्टक

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