आज दिवाली पर करें माता लक्ष्मी और गणेश जी की ये आरती

दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर दिन सोमवार को है. इस दिन प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं. इस अवसर पर धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है.

Update: 2022-10-24 02:17 GMT

दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर दिन सोमवार को है. इस दिन प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं. इस अवसर पर धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है. दिवाली पर अपने घरों में श्रीयंत्र की स्थापना करने से सुख और समृद्धि आती है. दिवाली के शुभ अवसर पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय यह है कि पूजा के समय उनकी विधि विधान से आरती की जाए. आरती पूजा को संपूर्णता प्रदान करती है और कमियों को दूर करती हैं. इस वजह से प्रत्येक पूजा के अंत में आरती की जाती है. इस दिन माता लक्ष्मी के साथ गणपति बप्पा की भी पूजा होती है, इसलिए गणेश जी की भी आरती करें.

दिवाली आरती की विधि

तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डाॅ. कृष्ण कुमार भार्गव कहते हैं कि दिवाली के अवसर पर आप सबसे पहले गणेश जी की आरती करें. उसके बाद कुबेर और माता लक्ष्मी की. गणेश जी प्रथम पूज्य हैं और वे माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र भी हैं, इसलिए सबसे पहले उनकी आरती करें. फिर माता लक्ष्मी की.

 आरती के लिए आप घी के दीपक का उपयोग करें. दीपक जलाने के साथ आरती प्रारंभ करें. इस दौरान शंख और घंटी बजाते रहें. आरती समाप्त होने से पूर्व उसे पूरे घर में लेकर जाएं, ताकि उसकी सकारात्मक ऊर्जा से दोष और नकारात्मका दूर हो. माता लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा से आपके परिवार की उन्नति हो और घर धन-दौलत से भर जाए.

मां लक्ष्‍मी की आरती

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता।

सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

दुर्गा रूप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

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जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता।

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।

उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।

 

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