भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए करे ये सरल उपाय, इस कथा को पढ़े

हिंदूओं मान्यताओं के अनुसार बुधवार को गणेश भगवान का दिन कहा जाता है

Update: 2022-04-13 06:47 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  हिंदूओं मान्यताओं के अनुसार बुधवार को गणेश भगवान का दिन कहा जाता है. गणेश भगवान को हिंदू धर्म शास्त्रों में सर्वप्रथम पूज्य माना गया है और इसलिए किसी भी शुभ काम (Lord Ganesha) से पहले गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है. बुधवार को गणेश जी का व्रत करने का भी विशेष महत्व है और मान्यता है कि 7 बुधवार तक यह व्रत किया (Budhwar Puja) जाना चाहिए. इस दिन व्रत करने (Ganesha Puja Vidhi) वाली महिलाओं को गणेश से जुड़ी कथा जरूर पढ़नी चाहिए. (Budhwar Puja Vidhi) इससे भगवान गणेश प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं.

बुधवार व्रत कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बुधवार व्रत की एक कथा काफी प्रचलित है. एक समय की बात है कि एक धनी व्यक्ति मधुसूदन अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए अपने ससुराल गया. वह कुछ दिन वहीं ससुराल में ही रहा है फिर अपने सास-ससुर विदा करने को कहा. लेकिन सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार का दिन है और आज के दिन गमन नहीं करना चाहिए. लेकिन मधुसूदन नहीं माना और बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने घर की ओर चल पड़ा. रास्ते में उसकी पत्नी को प्यास लगी, तो मधुसूदन लोटा लेकर रथ से उतरकर पानी लेने चल गया. जैसे ही वह पानी लेकन अपनी पत्नी के पास पहुंचा तो देखकर चौंक गया कि उसके जैसी सूरत और वेश-भूषा वाला एक व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ बैठा हुआ था. 
जिसे देखकर मधुसूदन क्रोधित हुआ और क्रोध में उसने कहा, 'तू कौन है जो मेरी पत्नी के साथ बैठा ​हुआ है? इसके जवाब में दूसरा व्यक्ति बोला, 'ये मेरी पत्नी है और मैं इसे अभी ससुरात से विदा कराकर घर ले जा रहा हूं.' इसके बाद दोनों में झगड़ा होने लगा. तभी राज्य के कुछ सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे. उन्होंने स्त्री से पूछा कि 'तुम बताओं, इनमें से तुम्हारा असली पति कौन है?' 
पत्नी शांत रही क्योंकि दोनों ही देखने में बिल्कुल एक समान थे. वह समझ नहीं पा रही थी कि इनमें से उसका असली पति कौन है? तभी लोटे वाला व्यक्ति परेशान होकर कहा कि हे भगवान! ये क्या लीला है ​जो सच्चे को झूठा बताया जा रहा है. तभी एक आकाशवाणी हुई 'मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना चाहिए था और तून किसी की बात नहीं मानी. ये सारी लीला बुद्धदेव भगवान की है.
फिर उस व्यक्ति ने बुद्धदेव भगवान की प्रार्थना की और उनसे अपनी गलती की क्षमा मांगी. इसके बाद वह अपनी पत्नी को लेकर घर आ गया. इसके बाद से दोनों पती-पत्नी प्रत्येक बुधवार को नियमपूर्व व्रत करने करने लगे. मान्यता है कि व्यक्ति इस कथा को पढ़ता और सुनता है, उसे बुधवार के दिन यात्रा करने का दोष नहीं लगता. उसे भी सुख प्राप्त होते हैं.


Tags:    

Similar News

-->