सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए करें ये पौराणिक उपाय

सूर्य नारायण को रविवार का दिन समर्पित किया गया है.

Update: 2022-04-10 05:19 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूर्य नारायण को रविवार का दिन समर्पित किया गया है. इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. वैसे तो सूर्य देव को नियमित रूप से अर्घ देने से मनुष्य की कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है. परंतु समय के अभाव के चलते ऐसा संभव ना हो तो रविवार के दिन तो सूर्य देव को अर्घ देना ही चाहिए. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले सूर्य देव को लाल फूल, चावल, तांबे के कलश में डालकर अर्घ देना शुभ माना जाता है, और भी कई पौराणिक उपाय हैं जिन्हें करके आप सूर्य देव को प्रसन्न कर सकते हैं. साथ ही अपनी कुंडली का सूर्य भी मजबूत कर सकते हैं.

स्नान के समय करें उपाय
यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य अनिष्ट कारक हो तो जातक को स्नान करते समय जल में खसखस या एक लाल फूल या फिर केसर डालकर नहाना शुभ माना जाता है. लाल फूल, केसर या खसखस यह सभी सूर्य की कारक वस्तु मानी जाती हैं. इन वस्तुओं से सूर्य के उपाय करने, अन्य अनिष्टों से बचाव करने के साथ ही व्यक्ति के रोगों से लड़ने की शक्ति का विकास भी होता है. मान्यता के अनुसार सूर्य की कारक वस्तुओं से स्नान करने पर सूर्य की वस्तुओं के गुण व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. जिसकी वजह से उनके शरीर में सूर्य के गुणों की बढ़ोतरी होती है.
सूर्य की कारक वस्तुओं का दान
सूर्य देव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सूर्य की कारक वस्तुओं का दान देना चाहिए. इनमें तांबा, गुड़, गेहूं, मसूर दाल, दान कर सकते हैं. दान देने वाली वस्तुओं को प्रत्येक रविवार या फिर मकर सक्रांति के दिन दान करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा सूर्य ग्रहण के दिन भी इन वस्तुओं का दान लाभकारी होता है. अपने सामर्थ्य अनुसार वस्तुओं के वजन का दान पूरे श्रद्धा भाव के साथ कर सकते हैं.
मंत्र का जाप करें
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्र का जाप करना भी फलदायक होता है. आप 'ओम घूणि: सूर्य आदित्य:' मंत्र का नियमित रूप से जाप कर सकते हैं. यदि आपके पास समय का अभाव है तो आप इस मंत्र का जाप प्रत्येक रविवार भी कर सकते हैं. यह मंत्र रविवार के दिन विशेष रूप से फल प्रदान करता है. इस मंत्र की संख्या 10-20 है या फिर 108 भी हो सकती है. आप इसे अपनी इच्छा अनुसार बढ़ा भी सकते हैं. मंत्र जाप के समय शुद्धता का पूरा ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा मंत्र जाप के समय सूर्य देव का ही ध्यान करना हितकारी होता है.
सूर्य यंत्र की स्थापना करें
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए तांबे के सूर्य यंत्र की स्थापना करना चाहिए. यदि आपके पास तांबे का सूर्य यंत्र नहीं है तो भोजपत्र या फिर कागज पर लाल चंदन, केसर, कस्तूरी से इन्हें स्वयं ही बना सकते हैं. इसको लिखने के लिए अनार की कलम का इस्तेमाल उत्तम बताया गया है. सूर्य यंत्र के ऊपर के तीन खानों में क्रमशः 6,1,8 संख्याएं अलग-अलग खानों में होनी चाहिए. बीच के खानों में क्रमशः 7,5, 3 संख्याएं लिखी जाती हैं. अंतिम खानों में 2,9,4 संख्याएं लिखी जाती है. सूर्य यंत्र की एक विशेषता होती है कि इनका किसी भी तरफ से योग किया जाए तो उसका योगफल 15 ही आता है.
सूर्य हवन कराएं
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए या फिर कुंडली में जब सूर्य का दुष्प्रभाव प्राप्त हो रहा हो, अथवा सूर्य राहु केतु से पीड़ित हों, तो सूर्य से संबंधित हवन कराना चाहिए.


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